मार्केट रेगुलेटर SEBI ने मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (Motilal Oswal Financial Services) पर 7 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई क्लाइंट मार्जिन की वसूली में कथित खामियों, गलत खुलासों और अन्य नियमों के उल्लंघन के कारण की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने स्टॉक ब्रोकर्स के लिए तय नियमों का पालन नहीं किया, जिसके चलते यह जुर्माना लगाया गया है।
सेबी ने गुरुवार को जारी आदेश में कहा कि उसने 1 अप्रैल 2021 से 30 जून 2022 तक की अवधि के दौरान ब्रोकिंग फर्म की जांच की। इसके बाद, 4 जुलाई 2024 को ब्रोकिंग फर्म को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
Motilal Oswal Financial Services पर ये हैं आरोप
SEBI के नोटिस में मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज पर जो मुख्य आरोप लगाए गए, उनमें गलत रिपोर्टिंग और मार्जिन की कम वसूली, कैश और कैश इक्विवेलेंट बैलेंस का गलत डेटा (57 मामलों में), सिक्योरिटीज बिजनेस के अलावा अन्य कार्यों में शामिल होना (जिससे पर्सनल फाइनेंशियल लायबिलिटी पैदा हुई) और मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग पर गलत रिपोर्टिंग शामिल हैं।
SEBI के नोटिस में आरोप लगाया गया कि SCORES प्लेटफॉर्म और एक्सचेंजों से प्राप्त 300 से अधिक (334) शिकायतें 30 दिनों से अधिक समय से लंबित थीं। इसके अलावा, मार्केट इंटरमीडियरी ने अकाउंट्स को सही तरीके से मेंटेन नहीं किया।
Motilal Oswal Financial Services ने जवाब में क्या कहा?
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने SEBI के कारण बताओ नोटिस के जवाब में कहा कि कुछ आरोपित उल्लंघन “पूरी तरह से अनजाने में हुए” और “जानबूझकर की गई गलत रिपोर्टिंग नहीं” थे। इसमें आगे कहा गया है कि कुछ “टेक्निकल इश्यू” भी थे, जिनके चलते उल्लंघन हुए, और उन्हें पहले ही ठीक कर लिया गया है।
उदाहरण के लिए, आदेश के अनुसार SEBI ने जांच के दौरान पाया कि लेन-देन की डिटेल बैंक बुक में सही तरीके से दर्ज नहीं किए गए थे। इसके अलावा, बैंक बुक के हेडर गलत थे—पेमेंट की जानकारी रिसिप्ट कॉलम में और रिसिप्ट की जानकारी पेमेंट कॉलम में दर्ज की गई थीं।
अपने जवाब में, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कहा, “निरीक्षण अवधि के दौरान फंड ट्रांसफर से जुड़े लेन-देन के विवरण मैन्युअली दर्ज किए गए, जिससे कुछ अस्पष्टताओं या कुछ लेन-देन की पहचान करने में कठिनाई हो सकती है।”
कंपनी ने कहा कि इस मामले में, MOFSL ने सही डिटेल सुनिश्चित करने के लिए “मेकर/चेकर मैकेनिज्म” लागू करके सुधार के कदम उठाए हैं। इस बीच, SEBI के आदेश में यह भी कहा गया है कि इसके पास यह साबित करने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि मार्केट इंटरमीडियरी ने कोई अवैध लाभ कमाया हो।