Budget 2025 Stocks: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में अपना बजट का पिटारा खोलेंगी। इस पिटारे में PSU यानी सरकारी कंपनियों के लिए क्या योजनाएं होगी, इसे लेकर अभी से अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। क्या बजट में एक बार फिर सरकार विनिवेश यानी डिसइनवेस्टमेंट पर फोकस बढ़ाएगी। अगर ऐसा हुआ तो क्या इससे PSU स्टॉक्स में फिर से तेजी देखने को मिलेगी? इस सवाल का जवाब जानने से पहले आइए समझते हैं कि आखिर सरकार की विनिवेश की नीति और बजट अनुमान कैसे काम करते हैं।
पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि सरकार का विनिवेश लक्ष्य हमेशा असली आंकड़ों से पीछे रह जाता है। 2022 और 2023 के बजट में सरकार ने विनिवेश का जो लक्ष्य रखा था, वह पूरा नहीं हो पाया था। मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 में भी सरकार ने विनिवेश के जरिए अबतक केवल 9,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई है, जबकि इसका लक्ष्य 50,000 करोड़ रुपये का है। ब्रोकरेज फर्म UBS ने बताया कि सरकार ने इस साल अब तक जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, कोचीन शिपयार्ड और हिंदुस्तान जिंक में हिस्सेदारी बेचकर कुछ रकम जुटाई है, लेकिन यह बजट में रखे गए लक्ष्य से काफी कम है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार के बजट में विनिवेश के मोर्चे पर किसी बड़े उछाल की उम्मीद नहीं है। उनका अनुमान है कि सरकार का विनिवेश लक्ष्य इस बार 30,000 करोड़ रुपये से 60,000 करोड़ रुपये के बीच रह सकता है। जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा के मुताबिक, सरकार पिछले बार के ही विनिवेश लक्ष्य को ही इस बार भी बनाए रखेगी और इसमें ज्यादा बदलाव की संभावना नहीं है। वहीं, UBS का मानना है कि विनिवेश लक्ष्य को लगातार कम किया जा रहा है और इस बार लगातार पांचवें बजट में इसमें कटौती देखने को मिल सकती है। UBS के मुताबिक, इस बार के बजट में विनिवेश का लक्ष्य 30,000 करोड़ के करीब हो सकता है।
अब सवाल उठता है कि इसका PSU स्टॉक्स पर क्या असर पड़ेगा? कोटक महिंद्रा AMC के मैनेजिंग डायरेक्टर निलेश शाह का कहना है कि सरकार वित्तीय अनुशासन के रास्ते से भटकने का जोखिम नहीं उठा सकती है। सरकार अगर बजट में गैर-जरूरी PSU कंपनियों में रणनीतिक विनिवेश का ऐलान करती है, तो इससे वित्तीय घाटे को पाटने में मदद मिल सकती है।
हालांकि, कुछ बड़े PSU कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी बिक्री को अगले वित्त वर्ष तक टाल सकती है। UBS ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि सरकार NMDC स्टील, IDBI बैंक, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और BEML जैसी कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री की योजना को सरकार FY26 तक आगे बढ़ा सकती है।
हाल ही में, मनीकंट्रोल ने एक रिपोर्ट में बताया था कि IDBI बैंक के संभावित खरीदारों के लिए ड्यू डिलिजेंस की प्रक्रिया चल रहा है और सरकार अपनी 60.7% हिस्सेदारी बेचने के लिए निवेशकों से बोलियां मंगाने करने की योजना बना रही है। लेकिन यह प्रक्रिया मार्च से पहले पूरी नहीं होगी, इसके चलते यह प्रक्रिया FY26 तक खींच सकती है। इसी तरह, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का विनिवेश भी लालफीताशाही के चलते अगले वित्त वर्ष तक टल सकता है।
सरकार के इस कदम से PSU शेयरों में निवेश करने वाले निवेशकों को थोड़ा धैर्य रखना होगा। आमतौर पर, किसी PSU कंपनी के विनिवेश की खबर से उसके शेयरों में तेजी देखने को मिलती है, क्योंकि निवेशकों को लगता है कि प्राइवेटाइजेशन के चलते कंपनी का मैनेजमेंट अब मुनाफे पर पहले से अधिक ध्यान देगा। लेकिन अगर बजट में विनिवेश का लक्ष्य कम रखा जाता है, तो कुछ PSU शेयरों में गिरावट देखने को मिल सकती है।
कुल मिलाकर, ऐसा लगता है कि सरकार फिलहाल आक्रामक विनिवेश की राह पर नहीं चल रही है, बल्कि अपने कोर PSUs कंपनियों की एफिशियंसी को बढ़ाने और उनमें निवेशकों की रुचि बनाए रखने पर ध्यान दे रही है। इसलिए, अगर आप PSU शेयरों में सिर्फ विनिवेश की खबरों के आधार पर तेजी की उम्मीद कर रहे हैं, तो आपको दूसरे पहलुओं पर भी नजर रखनी चाहिए!
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