ऑटोमोबाईल कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड को वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में 3,727 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा (कॉन्सोलिडेटेड नेट प्रॉफिट) हुआ है। सालाना आधार पर यह 16% बढ़ा है। एक साल पहले की समान तिमाही में कंपनी को 3,206 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था।
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में ऑपरेशन से कंपनी का रेवेन्यू 38,764 करोड़ रुपए रहा। एक साल पहले की समान तिमाही में मारुति सुजुकी ने 33,512 करोड़ रुपए का रेवेन्यू दर्ज किया था। सालाना आधार पर यह 15.67% बढ़ा है। वस्तुओं और सेवाओं को बेचने से मिली राशि को रेवेन्यू या राजस्व कहा जाता है।
मारुति सुजुकी की टोटल इनकम 15.39% बढ़ी
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में मारुति सुजुकी की टोटल इनकम सालाना आधार पर 15.39% बढ़कर 39,822 करोड़ रुपए रही। वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में कंपनी की टोटल इनकम 34,509 करोड़ रुपए रही थी।
मारुति सुजुकी के शेयर में आज 1.41% की गिरावट रही
मारुति सुजुकी का शेयर आज बुधवार (29 जनवरी) को 1.41% की गिरावट के साथ 11,953 रुपए के स्तर पर बंद हुआ। कंपनी का शेयर एक महीने में 11% चढ़ा और 6 महीने में 6% गिरा है। एक साल में कंपनी का शेयर 20% चढ़ा है। मारुति सुजुकी का मार्केट कैप 3.76 लाख करोड़ रुपए है।
क्या होता है स्टैंडअलोन और कॉन्सोलिडेटेड?
कंपनियों के रिजल्ट दो भागों में आते हैं- स्टैंडअलोन और कॉन्सोलिडेटेड। स्टैंडअलोन में केवल एक यूनिट का वित्तीय प्रदर्शन दिखाया जाता है। जबकि, कॉन्सोलिडेटेड या समेकित फाइनेंशियल रिपोर्ट में पूरी कंपनियों की रिपोर्ट दी जाती है।
1981 के भारत सरकार के स्वामित्व में बनी थी मारुति
मारुति सुजुकी की स्थापना 24 फरवरी 1981 के भारत सरकार के स्वामित्व में मारुति इंडस्ट्रीज लिमिटेड रूप में हुई थी। 1982 में कंपनी ने जापान की सुजुकी कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर जॉइंट वेंचर ‘मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड’ बनाई।
भारतीयों के लिए पहली बजट कार 1983 में मारुति 800 लॉन्च हुई। 47,500 रुपए की एक्स शोरूम कीमत पर कंपनी ने देश के एक बड़े तबके को कार खरीदने के सक्षम बनाया था। मारुति सुजुकी पिछले 40 साल में देश में करीब 3 करोड़ गाड़ियां बेच चुकी है।