विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार में गिरावट का रुख बना हुआ है। शेयरों में गिरावट के लिहाज से जनवरी 2025 अभी तक का सबसे खराब महीना साबित होता दिख रहा है। इस दौरान बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध शेयरों में से 2,461 के भाव में गिरावट आई है। इसने मार्च 2024 में गिरावट के दौर को भी पीछे छोड़ दिया है, जब 2,334 शेयर नुकसान में रहे थे। इस महीने लाभ और नुकसान में रहने वाले शेयरों का अनुपात 0.82 रहा, जो फरवरी 2023 के 0.81 से मामूली ऊपर है। कोविड महामारी की वजह से मार्च 2020 के दौरान लाभ और नुकसान में रहने वाले शेयरों का अनुपात 0.72 रहा था। जनवरी 2025 में गिरावट वाले शेयरों की संख्या पिछले दो साल में गिरने वाले शेयरों के औसत 2,043 से 20 फीसदी ज्यादा है।
व्यापक तौर पर देखें तो बीएसई 500 सूचकांक इस महीने 6.5 फीसदी गिरा है और इसका प्रदर्शन मार्च 2020 के बाद सबसे खराब रह सकता है। मार्च 2020 में सूचकांक में 24 फीसदी की गिरावट आई थी। बाजार में व्यापक गिरावट से संकेत मिलता है कि छोटे निवेशकों का हौसला कमजोर पड़ा है। आम तौर पर शीर्ष 500 से इतर कंपनियों के शेयरों में खुदरा निवेशकों की बदौलत तेजी आती है। अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक और निदेशक यूआर भट्ट ने कहा, ‘बाजार में हालिया तेज गिरावट से खुदरा निवेशकों का भरोसा डगमगाया है जिससे बिकवाली बढ़ी है। हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी निवेशकों के साथ ही खुदरा निवेशक भी बड़ी बिकवाली कर रहे हैं।’
बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 33 लाख करोड़ रुपये घटकर 409 लाख करोड़ रुपये रह गया है। मार्च 2020 में बाजार पूंजीकरण में सबसे ज्यादा 33.4 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई थी।
इस महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 71,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। अक्टूबर 2024 के बाद किसी महीने में विदेशी निवेशकों की यह दूसरी सबसे बड़ी बिकवाली है। अक्टूबर 2024 में उन्होंने 92,000 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे थे।
अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ने और डॉलर में मजबूती के कारण शेयर बाजार में इस महीने बिकवाली बढ़ी है। इसके साथ ही डॉनल्ड ट्रंप की अगुआई में अमेरिका में कॉरपोरेट कर में कटौती की उम्मीद से वहां के बाजार भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे भारत जैसे महंगे बाजार में निवेश का आकर्षण फीका पड़ गया है। घरेलू मोर्चे पर कंपनियों की आय वृद्धि धीमी रहने से भी बाजार में गिरावट को बल मिला है।
बीएनपी पारिबा में भारत इक्विटी रिसर्च के प्रमुख कुणाल वोरा ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2021 के बाद से सालाना मजबूत आय वृद्धि के बाद वित्त वर्ष 2025 में आय वृद्धि 4 से 5 फीसदी रहने की उम्मीद है।’