बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर स्टैलियन इंडिया फ्लोरोकेमिकल्स लिमिटेड की लिस्टिंग सेरेमनी हुई।
स्टैलियन इंडिया फ्लोरोकेमिकल्स लिमिटेड का शेयर आज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर इश्यू प्राइस से 33.33% ऊपर ₹120 पर लिस्ट हुआ। स्टैलियन इंडिया फ्लोरोकेमिकल्स के IPO का इश्यू प्राइस ₹90 था।
यह IPO 16 जनवरी से 20 जनवरी तक बोली लगाने के लिए ओपन था, जो टोटल 188.32 गुना सब्सक्राइब हुआ था। रिटेल कैटेगरी में IPO 96.81 गुना, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) कैटेगरी में 172.93 गुना और नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) कैटगरी में 422.35 गुना सब्सक्राइब हुआ था।
₹199.45 करोड़ का था स्टैलियन इंडिया फ्लोरोकेमिकल्स का IPO
स्टैलियन इंडिया फ्लोरोकेमिकल्स का ये इश्यू टोटल ₹199.45 करोड़ का था। इसके लिए कंपनी ने ₹ 160.73 करोड़ के 1,78,58,740 फ्रेश शेयर इश्यू किए। कंपनी के निवेशकों ने ऑफर फॉर सेल यानी OFS के जरिए ₹38.72 करोड़ के 43,02,656 शेयर बेचे।
मैक्सिमम 2145 शेयर के लिए बिडिंग कर सकते थे रिटेल निवेशक स्टैलियन इंडिया फ्लोरोकेमिकल्स ने IPO का प्राइस बैंड ₹85-₹90 तय किया था। रिटेल निवेशक मिनिमम एक लॉट यानी 165 शेयर्स के लिए बिडिंग कर सकते थे। यदि आप IPO के अपर प्राइज बैंड ₹90 के हिसाब से 1 लॉट के लिए अप्लाय करते, तो इसके लिए ₹14,850 इन्वेस्ट करने होते।
वहीं, मैक्सिमम 13 लॉट यानी 2145 शेयर्स के लिए रिटेल निवेशक अप्लाय कर सकते थे। इसके लिए निवेशकों को अपर प्राइज बैंड के हिसाब से ₹1,93,050 इन्वेस्ट करने होते।
इश्यू का 35% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स के लिए रिजर्व था
कंपनी ने IPO का 50% हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए रिजर्व रखा था। इसके अलावा 35% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स और बाकी का 15% हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए रिजर्व था।
स्टैलियन इंडिया फ्लोरोकेमिकल्स की स्थापना 2002 में हुई थी
स्टैलियन इंडिया फ्लोरोकेमिकल्स लिमिटेड की स्थापना 2002 में हुई थी, जो रेफ्रिजरेंट और इंडस्ट्रियल गैसों के प्रोडक्ट को बेचने का बिजनेस करती है। यह एयर कंडीशनर, सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग, फार्मा और मेडिकल, कांच की बॉटल बनाने, एरोसोल और स्प्रे फोम जैसे इंडस्ट्रीज में भी काम करती है।
IPO क्या होता है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स को आम लोगों के लिए जारी करती है तो इसे इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO कहते हैं। कंपनी को कारोबार बढ़ाने के लिए पैसे की जरूरत होती है। ऐसे में कंपनी बाजार से कर्ज लेने के बजाय कुछ शेयर पब्लिक को बेचकर या नए शेयर इश्यू करके पैसा जुटाती है। इसी के लिए कंपनी IPO लाती है।