Uncategorized

IPO शेयरों के ग्रे मार्केट कारोबार पर लगाम की तैयारी, SEBI लाएगी नया सिस्टम –

अभी तक कंपनी के सूचीबद्ध होने से पहले उसके शेयरों की खरीद-फरोख्त नहीं होती है। मगर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ऐसा प्लेटफॉर्म बनाने जा रहा है, जिस पर आईपीओ में शेयर मिलते ही उनकी ट्रेडिंग शुरू हो जाएगी। इस कदम का मकसद ग्रे मार्केट में ऐसे शेयरों के कारोबार पर अंकुश लगाना और बेहतर मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करना है।

एसोसिएशन ऑफ इन्वेस्टमेंट बैंकर्स ऑफ इंडिया (एआईबीआई) के कार्यक्रम में बोलते हुए सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने कहा कि शेयर बाजारों को तथाकथित ‘व्हेन-लि​स्टेड’प्लेटफॉर्म शुरू करने की अनुमति देने पर विचार किया जा रहा है। इस समय आईपीओ बंद होने और शेयरों की सूचीबद्धता के बीच तीन दिन का अंतर (टी+3) है जबकि आवंटन प्रक्रिया आईपीओ बंद होने के दो दिन से भी कम समय में पूरी की जाती है। आईपीओ की समय-सीमा दिसंबर 2023 में टी+6 से घटाकर टी+3 की गई थी।

बाजार के कारोबारियों का कहना है कि नए प्लेटफॉर्म का उद्देश्य आईपीओ की समय-सीमा को और भी कम करना हो सकता है। बुच ने कहा कि इसका उद्देश्य असंगठित बाजार में होने वाली ऐसे किसी भी कारोबार पर अंकुश लगाना है। बुच ने कहा, ‘हमें लगता है कि अगर कोई निवेशक लिस्टिंग से पहले कारोबार करना चाहता है, तो उसे उचित विनियमित तरीके से अवसर क्यों न दिया जाए। हम दोनों एक्सचेंजों के साथ इस पर सक्रिय रूप से विचार कर रहे हैं। उम्मीद है कि यह प्री-आईपीओ और आईपीओ के बीच एक सेतु का काम करेगा।’

यह देखना बाकी है कि प्रस्तावित प्लेटफॉर्म ग्रे मार्केट गतिविधियों पर किस हद तक अंकुश लगा पाता है क्योंकि अधिकांश गतिविधियां आईपीओ आने से पहले होती हैं। आम तौर पर खुदरा निवेशक आईपीओ में दांव लगाने से पहले ग्रे मार्केट प्रीमियम को देखते हैं। ग्रे मार्केट की ज्यादातर गतिविधियां गुजरात के चुनिंदा शहरों और मुंबई में केंद्रित है। इसे कुछ चुनिंदा लोगों के समूह ही अंजाम देते हैं।

एआईबीआई कार्यक्रम में सेबी अध्यक्ष ने कहा कि बाजार में किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर डिजिटल फुटप्रिंट को ट्रैक करने में नियामक अधिक सजग हो गया है। उन्होंने कहा कि तकनीक के कारण गड़बड़ियों का पता लगाए जाने की संभावनाएं मजबूत हुई हैं।

बुच ने कहा कि नियामक ने कंपनियों द्वारा कोष का गलत इस्तेमाल देखा है जिसमें आईपीओ के माध्यम से जुटाई गई राशि भी शामिल है। बुच ने व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा और बेहतर कॉरपोरेट प्रशासन की जरूरत पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा कि बाजार नियामक आईपीओ के प्रोसेसिंग टाइम में तेजी लाने और मसौदा दस्तावेजों के आकलन और जांच की गुणवत्ता के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) टूल्स का इस्तेमाल कर रहा है। नियामक आईपीओ दस्तावेजी प्रक्रिया आसान बनाने की दिशा में काम कर रहा है जिसके तहत मानक सूचना के लिए ‘फिल इन द ब्लैंक्स’नजरिया अपनाया जा सकता है। इसके अलावा अन्य विवरण का ‘एक्सेप्शनल हेडर’ के तहत अलग से खुलासा करना होगा।

बुच ने उन आईपीओ पर भी चिंताएं जताई हैं जिनमें कंपनियां स्पष्ट रूप से जानकारी नहीं देती हैं। उन्होंने कहा कि जारीकर्ता नए राइट्स इश्यू और तरजीही आवंटन तंत्र का उपयोग कर सकते हैं जो 26 दिनों में धन जुटाने में मदद करता है।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
NIFTY 50 
₹ 23,155.35  0.57%  
NIFTY BANK 
₹ 48,724.40  0.32%  
S&P BSE SENSEX 
₹ 76,404.99  0.75%  
RELIANCE INDUSTRIES LTD 
₹ 1,277.10  0.27%  
HDFC BANK LTD 
₹ 1,666.05  1.44%  
CIPLA LTD 
₹ 1,439.40  0.80%  
TATA MOTORS LIMITED 
₹ 742.75  2.37%  
STATE BANK OF INDIA 
₹ 753.45  0.74%  
BAJAJ FINANCE LIMITED 
₹ 7,397.15  1.45%  
BHARTI AIRTEL LIMITED 
₹ 1,631.75  0.34%  
WIPRO LTD 
₹ 309.10  3.60%  
ICICI BANK LTD. 
₹ 1,200.45  0.36%  
TATA STEEL LIMITED 
₹ 128.92  0.60%  
HINDALCO INDUSTRIES LTD 
₹ 613.45  0.24%