दिसंबर तिमाही के कमजोर नतीजे से निराश निवेशकों ने मंगलवार को जोमैटो के शेयरों की भारी बिकवाली की। बीएसई पर यह शेयर 11 फीसदी टूटकर 214.65 रुपये पर बंद हुआ जो कारोबार के दौरान 12.78 फीसदी टूटकर 210.15 रुपये के निचले स्तर पर चला गया था। विश्लेषकों के आय अनुमान और शेयर के कीमत लक्ष्य में कटौती से दो सत्रों में इस शेयर में 13.7 फीसदी की गिरावट आई है। तुलनात्मक रूप से बीएसई सेंसेक्स मंगलवार को 1,235 अंक या 1.6 फीसदी गिरकर बंद हुआ।
ज़ोमैटो ने सोमवार को अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए थे जहां शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 57 फीसदी की गिरावट के साथ 59 करोड़ रुपये रह गया। क्रमिक रूप से लाभ 66.5 फीसदी घटा। परिचालन के लिहाज से राजस्व जहां सालाना आधार पर 64 फीसदी और तिमाही आधार पर 12.6 फीसदी घटकर 5,405 करोड़ रुपये रहा वहीं जोमैटो का समायोजित एबिटा सालाना आधार पर 128 फीसदी बढ़ा जबकि तिमाही आधार पर 14 फीसदी घटकर 285 करोड़ रुपये रह गया।
जोमैटो की तीसरी तिमाही के मुनाफे में गिरावट मुख्य रूप से फूड डिलिवरी सेगमेंट में सुस्ती के कारण आई। वर्टिकल के लिए समायोजित राजस्व तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 17 फीसदी और तिमाही आधार पर 3 फीसदी बढ़कर 2,413 करोड़ रुपये हो गया। सेगमेंटल ग्रॉस ओवर वैल्यू (जीओवी) सालाना आधार पर 16.8 फीसदी और तिमाही आधार पर 2.3 फीसदी बढ़कर 9,913 करोड़ रुपये हो गई।
प्रबंधन ने अपनी ओर से कहा कि कंपनी मांग में व्यापक मंदी के दौर से गुजर रही है जो नवंबर के उतरार्ध के दौरान शुरू हुई। हालांकि प्रबंधन सुधार को लेकर सकारात्मक बना हुआ है और व्यवसाय में 20 फीसदी से अधिक वार्षिक जीओवी वृद्धि के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को लेकर आश्वस्त है।
नोमूरा ने कहा कि खाद्य वितरण खंड की वृद्धि तीसरी तिमाही में कम थी। यह पहली बार नहीं है जब वृद्धि ने निराश किया हो। वित्त वर्ष 23 की तीसरी तिमाही में आर्थिक मंदी के कारण जीओवी की वृद्धि तिमाही आधार पर 0.7 फीसदी तक धीमी हो गई थी। हमें उम्मीद है कि फूड डिलिवरी सेगमेंट 17 से 20 फीसदी वृद्धि दर्ज करेगा। ब्रोकरेज ने अब इसकी लक्षित कीमत 320 रुपये से घटाकर 290 रुपये कर दिया है।
लाभप्रदता का पैमाना यानी कंट्रिब्यूशन मार्जिन बताता है कि कंपनी अपने उत्पादों की हर अतिरिक्त इकाई की बिक्री पर लाभ अर्जित करती है जो वित्त वर्ष 24 में 6.9 फीसदी रहा। तीसरी तिमाही में फूड डिलिवरी का कंट्रिब्यूशन मार्जिन दूसरी तिमाही के 7.6 फीसदी से बढ़कर 8.5 फीसदी पर पहुंच गया जबकि समायोजित एबिटा मार्जिन (जीओवी के प्रतिशत के तौर पर) तिमाही आधार पर 80 आधार अंक बढ़कर 4.3 फीसदी रहा।
ब्लिंकइट पर ध्यान
ब्लिंकइट का राजस्व तिमाही आधार पर 21 फीसदी बढ़कर 1,399 करोड़ रुपये रहा और सेगमेंट का जीओवी तिमाही आधार पर 27 फीसदी बढ़कर 7,798 करोड़ रुपये रहा। ऑर्डर की औसत वैल्यू दूसरी तिमाही के 660 रुपये से बढ़कर 707 रुपये हो गई। डार्क स्टोर की संख्या तिमाही आधार पर 791 से बढ़कर 1,007 हो गई।
ब्लिंकइट का कंट्रिब्यूशन मार्जिन हालांकि तिमाही आधार पर 80आधार अंक घटकर 3 फीसदी रह गया वहीं समायोजित एबिटा मार्जिन जीओवी के प्रतिशत के तौर पर 120 आधार अंक नरम होकर -1.3 फीसदी पर आ गया। इसकी वजह डार्क स्टोर की संख्या में बढ़ोतरी और उच्च विपणन खर्च है। इसका एबिटा नुकसान तीसरी तिमाही में 103 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो दूसरी तिमाही में 8 करोड़ रुपये और पिछले साल की इसी अवधि में 89 करोड़ रुपये रहा था।
आय में कटौती
नुवामा इंस्टिट्यूशनल ने वित्त वर्ष 25, 26 और वित्त वर्ष 27 के लिए एबिटा अनुमान में क्रमश: 28 फीसदी, 49 फीसदी व 18 फीसदी की कटौती की है। साथ ही लक्षित कीमत घटाकर 300 रुपये कर दी।