वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए बड़े ऐलान करने जा रही हैं। सरकार ने 23 फरवरी, 2024 को पेश यूनियन बजट में ईवी के संभावित ग्राहकों के लिए बड़ा ऐलान नहीं किया था। वित्तमंत्री यह कमी यूनियन बजट 2025 में दूर कर देंगी। ग्रीन मोबिलिटी के सरकार के टारगेट को पूरा करने के लिए लोगों को ईवी खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी है। ईवी इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों का कहना है कि ऑटो कंपनियों ने ईवी के उत्पादन पर फोकस बढ़ाया है। अगर सरकार की तरफ से सपोर्ट मिलता है तो ग्रीन मोबिलिटी का टारगेट पूरा हो सकता है।
सरकार ने 2030 तक गाड़ियों की कुल बिक्री में EV की 30 फीसदी हिस्सेदारी का टारगेट तय किया है। ईवी इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह टारगेट तभी पूरा होगा, जब सरकार ईवी की खरीद पर इनसेंटिव का ऐलान करेगी। इसकी वजह यह है कि इंडियन कस्टमर्स काफी ज्यादा प्राइस सेंसेटिव होते हैं। वे किसी चीज को खरीदने से पहले उसकी कीमत पर सबसे ज्यादा ध्यान देते हैं। पिछले 1-2 साल में ईवी की कीमतों में कमी आई है। इसके बावजूद ये पेट्रोल और डीजल व्हीकल्स के मुकाबले ज्यादा हैं।
ऑटो इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि ईवी की कीमतों को एफोर्डेबल बनाने के अलावा व्यापक बैटरी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना जरूरी है। सबसे पहले चार्जिंग स्टेशंस की संख्या बढ़ानी होगी। उसके बाद बैटरी रिसाइक्लिंग की फैसिलिटी विकसित करने पर भी फोकस करना होगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ईवी को रजिस्ट्रेशन फीस से छूट देने का ऐलान कर सकती हैं। इससे इलेक्ट्रिक दोपहिया और कार खरीदने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी।
ज्यादातर लोग दोपहिया और कार खरीदने के लिए बैंक या एनबीएफसी से लोन लेते हैं। खासकर बड़े शहरों में गाड़ियों की कुल बिक्री में फाइनेंस वाली गाड़ियों की हिस्सेदारी काफी ज्यादा है। सरकार बैंकों और NBFC को ईवी खरीदने वाले लोगों को रियायती रेट पर लोन देने का निर्देश दे सकती है। बैंकों और एनबीएफसी को इससे होने वाले नुकसान की भरपाई सरकार कर सकती है। इससे ईवी खरीदने में आम लोगों की दिलचस्पी बढ़ सकती है।
लॉर्ड ऑटोमोटिव के सीईओ वीर सिंह ने कहा कि सरकार यूनियन बजट में ईवी के लिए बड़े ऐलान कर सकती है। ईवी में इस्तेमाल होने वाली बैटरी की देश में ही मैन्युफैक्चरिंग के लिए स्कीम आ सकती है। इससे बैटरी की कॉस्ट में कमी आएगी। ईवी की कुल कीमत में बैटरी की कीमत की बड़ी हिस्सेदारी होती है। अगर ईवी की बैटरी सस्ती होती है तो इससे ईवी की कीमत भी घट जाएगी।