मुंबई: शेयर बाजार में यूं तो सोमवार को पॉजिटिव माहौल है। आज सुबह 11 बजे बीएसई का सेंसेक्स करीब 250 अंक ऊपर था। लेकिन इस महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय इक्विटी में सक्रिय रूप से बिकवाली की। जनवरी 2025 में 17 तारीख तक इन्होंने 44,396 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेच चुके हैं।
बीते शुक्रवार को भी की बिकवाली
शुक्रवार, 17 जनवरी को एफपीआई ने 3,318.06 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जिससे प्रमुख सूचकांकों में गिरावट आई थी। उस दिन निफ्टी 108.60 अंक गिरकर 23,203.20 पर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स 423.49 अंक गिरकर 76,619.33 पर बंद हुआ था। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2024 से ही भारतीय शेयर बाजारों में एफपीआई नियमित विक्रेता रहे हैं। लेकिन दिसंबर 2024 में थोड़ी राहत मिली जब एफपीआई शुद्ध खरीदार बन गए और 15,446 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
पिछले कैलेंडर साल में क्या रहा हाल
यदि हम कैलेंडर साल 2024 की बात करें तो इस दौरान एफपीआई तो शुद्ध खरीदार रहे। लेकिन इनकी खरीदारी महज 427 करोड़ रुपये की रही जो कि दयनीय ही कही जाएगी। इन्होंने बीते अक्टूबर और नवंबर महीने के दौरान एफपीआई ने कुल मिलाकर 1,15,629 करोड़ रुपये की बिक्री की।
जनवरी में बेचने का चलन है
पिछले दस वर्षों में देखें तो एफपीआई छह बार जनवरी महीने में शुद्ध विक्रेता रहे हैं। कोराना काल में साल 22 की जनवरी को याद करें, उस दौरान इनका सबसे बड़ा आउटफ्लो 33,303 करोड़ रुपये का रहा था। यह रेकॉर्ड इस साल 17 दिनों में ही टूट चुका है। भारतीय शेयर बाजारों में एफआईआई की जो बिकवाली चल रही है, वह जो दुनिया भर में चल रही अनिश्चितता को भी दर्शाता है।
विशेषज्ञ का क्या है कहना
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी.के. विजयकुमार ने हमारे सहयोगी ईटी से बातचीत में कहा, “नकद बाजार में एफआईआई की लगातार बिकवाली इस महीने भी जारी रही है, जिसमें केवल 2 जनवरी को शुद्ध खरीद देखी गई।” मुख्य बाजार में 1,101 करोड़ रुपये की मामूली खरीद के साथ, एफपीआई ने 17 जनवरी तक स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से इक्विटी में 45,498 करोड़ रुपये बेचे थे।
कब आएगा निवेश
डॉ. विजयकुमार के अनुसार, यह संदेह है कि एफपीआई प्रवाह तब तक उलट जाएगा जब तक कि इस बात के स्पष्ट संकेत न हों कि अमेरिकी मुद्रा और बॉन्ड प्रतिफल चरम पर हैं और फिर घट रहे हैं। पिछले तीन महीनों में, डॉलर इंडेक्स में लगभग 6% की वृद्धि हुई है, और यह वर्तमान में छह प्रमुख मुद्राओं की टोकरी के मुकाबले लगभग 109 पर कारोबार कर रहा है।
क्यों एफपीआई बेच रहे हैं
एफपीआई व्यवहार को प्रभावित करने वाले वैश्विक कारको में अमेरिकी मुद्रा की लगातार मजबूती, उच्च बॉन्ड प्रतिफल और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानूनों की अप्रत्याशितता शामिल हैं। यही वे वजह हैं, जो कि एफपीआई को बिकवाली करने को प्रेरित करते हैं। अमेरिकी मौद्रिक नीति की भविष्य की दिशा के बारे में अनिश्चितता और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के तहत व्यापार शुल्क में वृद्धि की संभावना दोनों ही बाजार में अस्थिरता में योगदान करते हैं।
राहत कब तक
वैश्विक व्यापक आर्थिक स्थितियां और एफपीआई का पैसे निकालना भारतीय शेयर बाजारों पर दबाव डालना जारी रखते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि अमेरिकी डॉलर और बॉन्ड प्रतिफल स्थिर हो जाते हैं और घरेलू स्तर पर उत्साहजनक घटनाएं होती हैं, तो कुछ राहत संभव हो सकती है। तब तक, विदेशी निवेशकों की गतिविधि के कारण होने वाली अस्थिरता संभवतः बाजार के खिलाड़ियों को प्रभावित करती रहेगी।
(Disclaimer: उपरोक्त लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है, और इसे किसी भी निवेश सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। एनबीटी अपने पाठकों को सुझाव देता है कि वे निवेश से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लें।)