यूनियन बजट 2025 में सरकार का फोकस रिन्यूएबल एनर्जी पर रहने की उम्मीद है। 200 गीगावॉट का टारगेट हासिल करने के बाद अब कोशिश 2030 तक 500 गीगावॉट का टारगेट हासिल करने पर होगी। इसके लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण यूनियन बजट में बड़े ऐलान कर सकती हैं। एनर्जी सेक्टर के एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को कुछ मोर्चों पर फोकस करना होगा। ग्रिड को स्टैबलाइज करने के लिए बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम को मजबूत बनाना होगा। रिन्यूएल एनर्जी के यूटिलाइजेशन पर भी फोकस बढ़ाना होगा।
उत्पादन क्षमता बढ़ाने के रास्ते में कई चुनौतियां
रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के लिए 500 गीगावॉट का टारगेट हासिल करने में कई चुनौतियां हैं। अभी घरेलू मैन्युफैक्चरिंग क्षमता काफी कम है। इससे इंडस्ट्री की इंपोर्ट पर काफी निर्भरता है। उम्मीद है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण यूनियन बजट में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए बड़े उपायों का ऐलान करेंगी। रिलायंस न्यू एनर्जी में एनर्जी सिस्टम्स के बिजनेस हेड श्रीराम रामकृष्णन ने कहा कि हमें 2030 तक 500 गीगावॉट का टारगेट हासिल करना है। लेकिन, हम जरूरी 60 गीगावॉट की जगह सिर्फ 25 गीगावॉट की वृद्धि कर पा रहे हैं।
बैटरी स्टोरेज क्षमता बढ़ाने पर फोकस करना होगा
उन्होंने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता बढ़ाने के लिए बैटरी एनर्जी स्टोरेज क्षमता में इजाफा करना होगा। सरकार ने बैटरी को पीएलआई स्कीम के दायरे में लाने का अच्छा कदम उठाया है। लेकिन, एडवान्स कमेस्ट्री सेल (ACC) के उत्पादन पर फोकस बढ़ाना होगा। अगर इसके लिए जल्द कदम नहीं उठाया गया तो हमारी निर्भरता आयात पर बनी रहेगी। रिन्यूएबल एनर्जी को आम लोगों के बीच पहुंचाने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा इस पर आने वाली कॉस्ट है।
बैटरी मैटेरियल्स का घरेलू उत्पादन बढ़ाना होगा
अभी इंडिया को करीब 99 फीसदी बैटरी मैटेरियल्स का इंपोर्ट करना पड़ता है। यह इंपोर्ट चीन से होता है। यह हमारे लिए बड़ा रिस्क है। हमें बैटरी मैटेरियल्स की लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने पर फोकस करने की जरूरत है। इसके लिए बड़े निवेश की जरूरत है। यह तभी होगा जब कंपनियों को पर्याप्त प्रोत्साहन उपलब्ध होगा। सूत्रों का कहना है कि सरकार बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिए 9,000 करोड़ रुपये की पीएलआई स्कीम पर विचार कर रही है। यूनियन बजट में इसका ऐलान हो सकता है।