वैश्विक और घरेलू घटनाओं को लेकर जारी अनिश्चितता (नए ट्रंप प्रशासन की नीतियां और आगामी बजट समेत) के बीच भारतीय बाजारों में साल 2025 की पहली छमाही के दौरान उतार-चढ़ाव बरकरार रहने की आशंका है। मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ ने कैलेंडर वर्ष के लिए अपने आगे के अनुमान में ये बातें कही हैं।
प्राइवेट वेल्थ मैनेजर ने पोर्टफोलियो बनाते समय जोखिम प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने, चरणों में निवेश और बेहतर परिसंपत्ति आवंटन को जरूरी बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापार शुल्क के जवाब में चीन के उपाय और उभरते बाजारों की मुद्राओं पर इसके संभावित असर भी अहम वैश्विक घटनाक्रम में से एक है जिससे अनिश्चितताएं बढ़ेंगी।
मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ का अनुमान है कि जैसे ही कई मसलों और घटनाक्रम पर स्पष्टता दिखेगी, बाजार में उतार-चढ़ाव साल की दूसरी छमाही में कम हो जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्पावधि में उतार-चढ़ाव की संभावना के बावजूद भारतीय शेयरों के लिए मध्यम अवधि का परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है। इस आशावाद की कई वजह हैं जिनमें भारत का स्थिर आर्थिक माहौल, राजकोषीय और चालू खाते के घाटे पर नियंत्रण शामिल है।
मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ को उम्मीद है कि मध्यम अवधि में सरकारी खर्च में इजाफा होगा और नकदी की स्थिति सुधरेगी। साथ ही आरबीआई मौद्रिक प्रोत्साहन देगा। वेल्थ मैनेजर की राय है कि कंपनियों की आय में और गिरावट आ सकती है और बाजार में कुछ क्षेत्रों में भाव ऊंचे हैं। वित्त वर्ष 25 के लिए अनुमानित वृद्धि सपाट रहने की संभावनाओं के बावजूद उसे वित्त वर्ष 26 और वित्त वर्ष 27 में कंपनियों की आय में मजबूत बढ़ोतरी की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में कंपनियों की सुस्त आय और जीडीपी में धीमी वृद्धि के बाद मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ आगामी आय सीजन और जीडीपी वृद्धि पर नजर रखने की सिफारिश करता है। हमें उम्मीद है कि यह रुझान पलटेगा और कीमतों की सहजता को देखते हुए हमें लार्जकैप के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।
लंबी अवधि में आय वृद्धि और शेयरों का रिटर्न एकसार हो सकता है। उसका कहना है कि स्मॉलकैप शेयरों में तेजी उनकी आय वृद्धि से काफी ज्यादा है। अगर इक्विटी का रिटर्न सपाट रहता है तो सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिए घरेलू निवेश नरम पड़ सकता है। उसने भरोसा जताया है कि निवेश 20 फीसदी से ज्यादा नहीं घटेगा क्योंकि एसआईपी का ठोस आधार बन गया है। रियल एस्टेट के मामले में रिपोर्ट का झुकाव आवासीय के बजाय वाणिज्यिक सेगमेंट पर ज्यादा है।