यूनियन बजट 2025 में इनकम टैक्स में कमी हो सकती है। इकोनॉमिस्ट्स ने सरकार को कंजम्प्शन बढ़ाने की सलाह दी है। उनका मानना है कि कंजम्प्शन बढ़ाने से इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ेगी। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5.4 फीसदी पर आ गई। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार सालाना 15 लाख रुपये तक की आमदनी वाले टैक्सपेयर्स को राहत दे सकती है। सवाल है कि क्या सरकार इनकम टैक्स एग्जेम्प्शन, रिबेट और डिडक्शन के नियमों में भी बदलाव करेगी? इसका पता तो 1 फरवरी को चलेगा। लेकिन आपके लिए फिलहाल यह जान लेना जरूरी है कि इनका मतलब क्या है।
इनकम टैक्स एग्जेम्प्शन का मतलब
इनकम टैक्स एग्जेम्प्शन का मतलब आपकी इनकम के उस हिस्से से है, जो टैक्स के दायरे से बाहर होता है। टैक्स के कैलकुलेशन में इस हिस्से को शामिल नहीं किया जाता है। इससे आपकी कुल टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती है। उदाहरण के लिए अभी इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम में सालाना 2.5 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं देना पड़ता है। इसका मतलब है कि ओल्ड रीजीम में सालाना 2.5 लाख रुपये की इनकम को एग्जेम्प्शन हासिल है। आम तौर पर HRA, LTA, एग्रीकल्चरल इनकम एग्जेम्पशन के उदाहरण हैं।
इनकम टैक्स डिडक्शन का मतलब
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स को कुछ खर्चों और इनवेस्टमेंट पर डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत दी है। इससे व्यक्ति की टैक्स लायबिलिटी घट जाती है। उदाहरण के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत आने वाले इनवेस्टमेंट ऑप्शंस में निवेश कर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इस सेक्शन के तहत 1.5 लाख रुपये तक डिडक्शन क्लेम करन की इजाजत है। यह पैसा आपकी कुल इनकम में से घटा दिया जाता है। इससे आपका टैक्स घट जाता है।
इनकम टैक्स रिबेट का मतलब
इनकम टैक्स रिबेट की वजह से सीधे आपका टैक्स घट जाता है। इसका आपकी टैक्सबेल इनकम पर असर नहीं पड़ता है। लेकिन, आपकी टैक्सपेयर्स की टैक्स लायबिलिटी घट जाती है। इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 87ए रिबेट का उदाहरण है। इस सेक्शन के तहत इनकम टैक्स की नई रीजीम में सालाना 7 लाख रुपये की इनकम पर 25,000 रुपये का रिबेट हासिल है। इससे 7 लाख रुपये तक की इनकम वाले टैक्सपेयर की टैक्स लायबिलिटी जीरो हो जाती है। ओल्ड रीजीम में इस सेक्शन के तहत सालाना 5 लाख रुपये तक की इनकम पर 12,500 रुपये का मैक्सिमम रिबेट मिलता है। इससे टैक्सपेयर्स की लायबिलिटी घटकर जीरो हो जाती है।