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शेयर मार्केट में गजब का खेल! सिर्फ डेढ़ महीने में 372 फीसदी का रिटर्न और फिर पकड़ में आ गई चाल

एक शेयर जो 16 दिसंबर 2024 को सिर्फ 26 रुपए 80 पैसे पर ट्रेड कर रहा था वो आज 16 जनवरी को 78 रुपए पर पहुंच गया है। यानि सिर्फ एक महीने में ये शेयर 191 पर्सेंट से ज्यादा भाग चुका है। यहां तक कि पिछले कई दिनों से इसमें 5% का अपर सर्किट लग रहा है। आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये कौन सा शेयर है जो पिछले कुछ हफ्तों के बाजार की उठापटक के बावजूद अपर सर्किट टच करता रहा। इस कंपनी का नाम बताने से पहले ये दोहराना जरूरी है कि जैसे हर चमकती चीज सोना नहीं होती, उसी तरह हर बढ़ने वाला शेयर भी पैसा लगाने लायक नहीं होता।

आज हम जिस कंपनी की बात कर रहे हैं उसका नाम है पचेली इंडस्ट्रियल फाइनेंस। आखिरी सेबी की नजर में ये कंपनी की क्यों चढ़ गई है, ये पूरा मामला बताने से पहले आप हमें कॉमेंट करके जरूर बताइए कि क्या आपने भी इस शेयर में पैसा लगाया है?

शेयर मार्केट में अजब-गजब खेल!

 शेयर मार्केट एक ऐसी जगह है जहां कुछ ना कुछ खेल चलता ही रहता है। और रिटेल निवेशकों को सेबी के एक्शन के बाद ही ये जानकारी मिल पाती है। हम चाहते हैं कि हमारे निवेशक सजग रहें इसलिए इस कंपनी के बारे में बताना जरूरी है।

सेबी ने पचेली इंडस्ट्रियल फाइनेंस और छह दूसरी कंपनियों के शेयर मार्केट में एंट्री करने पर रोक लगा दी है। और ये रोक तब तक लगी रहेगी जब तक सेबी अपना अगला फैसला नहीं लेता। एनुअल रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी होटल, लॉजिंग हाउस और दूसरी कई सर्विसेज को सलाह देने का काम करती है।

पचेली के अलाव जिन छह संस्थाओं पर पाबंदी लगाई गई है उनके बारे में सेबी को पता चला है कि उन्हें कभी ना कभी कंपनी के प्रीफरेंशियल अलॉटमेंट का फायदा मिला है।

पंप एंड डंप का शक

सेबी ने 16 जनवरी को एक इंटरिम ऑर्डर जारी करके कहा है कि जांच से पचेली इंडस्ट्रियल के शेयरों में पंप एंड डंप के संकेत साफ मिल रहे हैं। पंप एंड डंप के मायने हैं कि कंपनी के शेयरों को फर्जी तरीके से पहले अनाप शनाप बढ़ाया जाए और फिर ऊंचे भाव पर अपने शेयर बेचकर निकल जाएं। इस तरह के मामलों में जिसे सबसे ज्यादा चूना लगता है वो रिटेल इनवेस्टर्स होते हैं।

अब बात करते हैं पचेली इंडस्ट्रियल के शेयरों की। 2 दिसंबर 2024 से लेकर 16 जनवरी 2025 के बीच पचेली इंडस्ट्रियल फाइनेंस के शेयर 21 रुपए 20 पैसे से बढ़कर 78 रुपए 20 पर पहुंच गए हैं। यानि सिर्फ डेढ़ महीने के भीतर इस कंपनी के शेयरों ने 372 पर्सेंट का रिटर्न दिया। और अगर आपने इसका P/E जान लेंगे तो और हैरान हो जाएंगे। पचेली इंडस्ट्रियल फाइनेंस के शेयर का P/E बीस, पचास या सौ नहीं बल्कि चार लाख है। जी हां, आपने बिल्कुल ठीक सुना..16 जनवरी 2025 यानि आज पचेली इंडस्ट्रियल फाइनेंस के शेयरों का पीई चार लाख पांच हजार छ सौ चौसठ है।

हवा में महल बनाने का गेम

 सेबी के होलटाइम मेंबर अश्विनी भाटिया ने कहा कि कंपनी का मैनेजमेंट हवा में महल बनाने का काम कर रहा है।  और ये सोची समझी योजना है। भाटिया के मुताबिक, पहली नजर में ऐसा लगता है कि यह कंपनी की ऑडिटर कंपनी GSA और एसोसिएट्स LLP के साथ मैनेजमेंट के सांठगांठ का नतीजा है। लिहाजा आगे इनकी भी जांच होगी।

उन्होंने अपने नोट में साफ लिखा है कि इस तरह के हालात में सेबी की भूमिका पर बुनियादी सवाल उठते हैं। क्योंकि सेबी पर निवेशकों के हितों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है।

कंपनी के मैनेजमेंट पर सेबी का शक इसलिए बढ़ा है क्योंकि इसके फाइनेंशियल रिपोर्ट और शेयरों की चाल के बीच कोई लेनादेना नहीं है।

जबरदस्त रिटर्न पर कितना भरोसा 

दिसंबर 2024 से लेकर जनवरी 2025 के बीच इस शेयर ने जहां 372 पर्सेंट का रिटर्न दिया है। जबकि फिस्कल ईयर 2022 और फिस्कल ईयर 2023 में उसकी कोई ऑपरेटिंग इनकम नहीं थी। कंपनी ने बताया कि फिस्कल ईयर 2024 में कंपनी की ऑपरेटिंग इनकम 1.07 करोड़ रुपए थी जो उसे बैड लोन रिकवरी और लोन पर मिले इंटरेस्ट से आए थे। कंपनी की आमदनी और शेयरों के रिटर्न के हिसाब से देखों तो इसका PE 4 लाख से ऊपर बैठता है।

सेबी की जांच में पता चला कि कंपनी ने छह संस्थाओं से 1000 करोड़ रुपए का लोन लिया था। लेकिन ये नहीं बताया गया था कि लोन की रकम का इस्तेमाल कहां होगा और इसकी कॉस्ट यानि इस पर इंटरेस्ट कितना है। बाद में इस रकम को प्रीफरेंशियल अलॉटमेंट के जरिए शेयरों में बदल दिया गया था। जांच में पता चला कि कंपनी ने ये पैसे घुमाफिराकर उन्हीं 6 कंपनियों को लौटा दिया और प्रीफरेंशियल शेयरों के बदले असल में कोई पैसा नहीं लिया।

छोटे निवेशकों को नुकसान!

 इस पूरे खेल में रिटेल निवेशकों को भारी नुकसान होता है। प्रीफरेंशियल शेयरों की लॉकइन पीरियड 11 मार्च 2025 को खत्म हो रही है। सेबी के होलटाइम मेंबर अश्विनी भाटिया ने जोर देकर कहा है कि इस बात का इंतजाम करना जरूरी है कि लॉकइन पीरियड खत्म होने के बाद मार्केट में ये शेयर ना बेचे जाएं। इसी तरह से रिटेल निवेशकों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।

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