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जो होना था हो गया या और मचेगा हाहाकार… संकेत क्‍यों नहीं अच्‍छे, आगे क्‍या होने वाला है?

नई दिल्‍ली: शेयर बाजार में सोमवार को लगातार चौथे दिन गिरावट देखी गई। सेंसेक्स और निफ्टी जैसे बड़े सूचकांकों के साथ स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में भी भारी गिरावट आई। इस गिरावट से छोटे निवेशकों में चिंता बढ़ गई है। मजबूत डॉलर, विदेशी निवेशकों की निकासी, ट्रंप की नीतियां और कमजोर कमाई के अनुमान जैसे कई फैक्‍टर्स से विश्लेषक मान रहे हैं कि सेंसेक्स और निफ्टी में छोटी अवधि में कमजोरी बनी रह सकती है। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में और भी गिरावट की आशंका जताई जा रही है।कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के अनुसार, अगले कुछ महीनों में लार्ज-कैप शेयर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में और गिरावट देखने को मिल सकती है। खासकर अगर बाजार फंडामेंटल्स और वैल्यू पर ध्यान केंद्रित करता रहा तो। यह मानने का कोई कारण नहीं है कि ऐसा नहीं होगा। विदेशी निवेशक (FPIs) जल्द भारत में निवेश करने के लिए उत्सुक नहीं दिख रहे हैं। उभरते बाजारों के लिए वह नया पैसा लगाने के मूड में नहीं हैं। उनकी ओर से लगातार निकासी जारी है। ऊंचे मूल्यांकन को वह कारण बता रहे हैं। ऐसे में खुदरा निवेशकों को घटते रिटर्न का सामना करना पड़ सकता है।

भरभरा गया बाजार

सोमवार को बीएसई सेंसेक्स 76,330.01 पर बंद हुआ। इसमें 1048.90 अंक यानी 1.36 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं, एनएसई निफ्टी 23,085.95 पर बंद हुआ। इसमें 345.55 अंक यानी 1.47% की गिरावट आई। मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

आंकड़े बताते हैं कि बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स और बीएसई मिडकैप इंडेक्स अपने एक साल के सबसे ऊंचे स्तर से 13-14 फीसदी नीचे हैं। सेंसेक्स अपने 52-सप्ताह के सबसे ऊंचे स्तर से 11 फीसदी नीचे है।

संकेत क्‍यों नहीं अच्‍छे?

प्रभुदास लीलाधर में इंस्टीट्यूशनल रिसर्च के निदेशक अम्नीश अग्रवाल के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही से निफ्टी में गिरावट का दौर शुरू हो गया है। EPS अनुमानों में लगातार कटौती की जा रही है। उन्होंने कहा कि शेयर बाजार अर्थव्यवस्था में मंदी की वास्तविकता को समझ रहा है। यह मंदी वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में सरकारी पूंजीगत व्यय में गिरावट और लंबी बारिश के साथ खाद्य महंगाई में तेजी से उपभोक्ता मांग में कमी आई है। अक्टूबर 2024 तक खाद्य महंगाई दर 10.9 फीसदी तक पहुंच गई थी। इसके अलावा, नकद सहायता और चुनावी मुफ्त उपहारों की बढ़ती संभावना पूंजीगत व्यय को प्रभावित कर रही है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए ब्याज दरों में तेजी से कटौती करने की गुंजाइश कम हो गई है।

एमके ग्लोबल का मानना है कि शेयर बाजार कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली तिमाही में कमजोर रहेगा। लेकिन, दूसरी तिमाही से स्थिर हो जाएगा। कमाई के नजरिये में सुधार और एफपीआई की बिकवाली में कमी आने की उम्मीद है। प्रभुदास लीलाधर ने निफ्टी के लिए अपना बेस केस टारगेट 27,381 से घटाकर 27,172 कर दिया है।

(डिस्क्लेमर: इस विश्लेषण में दिए गए सुझाव व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों के हैं, stock market news के नहीं। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि किसी भी निवेश का निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श कर लें क्योंकि शेयर बाजार की परिस्थितियां तेजी से बदल सकती हैं।)

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