Stock Market Strategy: घरेलू शेयर बाजारों में बिकवाली थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स सोमवार (13 जनवरी) 1049 अंक या 1.36 प्रतिशत गिरकर 76,330 के निचले स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी50 भी 345.55 अंक या 1.47 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,086 के निचले स्तर पर आ गया। जनवरी के पहले सात ट्रेडिंग सेशन में बेंचमार्क 1 प्रतिशत से ज्यादा लुढ़क गए हैं। वहीं, सितंबर 2024 में अपने ऑल टाइम हाई लेवल से सेंसेक्स और निफ्टी 13% तक नीचे आ गए हैं।
एनालिस्ट का कहना है कि शेयर बाजारों में जारी गिरावट के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। इनमें विदेशी निवेशकों की बिकवाली, फाइनेंशियल ईयर 2024-25 (H1FY25) की पहली छमाही के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से कम पूंजीगत खर्च और कंज्यूमर डिमांड में सुस्ती जैसे कारण शामिल हैं। वहीं, फूड इन्फ्लेशन में वृद्धि और संरक्षणवादी नीतियों के साथ अमेरिका में डोनल्ड ट्रम्प (Donald Trump) की वापसी ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है।
एनालिस्ट्स का कहना है कि घरेलू शेयर बाजारों में सुधार की गति धीमी रह सकती है। फिलहाल के लिए निवेशकों की नजरें डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद और केंद्रीय बजट 2025 पर टिकी हुई है।
शेयर बाजार में हालिया गिरावट की क्या है वजह ?
अबंस होल्डिंग्स में सीनियर मैनेजर (रिसर्च एंड एनालिटिक्स) यशोवर्धन खेमका ने बताया कि ट्रम्प की प्रस्तावित ट्रेड पॉलिसी को लेकर अनिश्चितता के कारण घरेलू शेयर बाजार कमजोर स्थिति में हैं। यह बाजार के सेंटीमेंट को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक हैं। ट्रंप की प्रस्तावित नीतियों से न सिर्फ महंगाई में इजाफा हो सकता ह बल्कि ब्याज दरों में कटौती में भी देरी हो सकती है। इससे ग्लोबल इन्वेस्टर्स के लिए अमेरिकी बाजार और ज्यादा आकर्षक हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि भारतीय आर्थिक ग्रोथ में मंदी के कारण भारतीय कंपनियों के इनकम ग्रोथ रेट में गिरावट आ रही है। वहीं, अमेरिकी लेबर मार्केट के लेटेस्ट आंकड़ों से पता चला है कि पिछले महीने में 256,000 नौकरियों की वृद्धि हुई, जो मजबूत आर्थिक गति को दर्शाता है। इससे ब्याज दर में कटौती की उम्मीदों को झटका लगा है। साथ डॉलर और मजबूत हुआ है और विदेशी निवेशकों (FIIs) की बिकवाली बढ़ जाती है।
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में कमजोरी के कारण बाजारों में गिरावट आई है। रिकवरी शुरू होने से पहले बाजार में 4-6% तक की और गिरावट आ सकती है। ट्रंप की नीतियों को लेकर पिक्चर उनके पद संभालने के 1-2 सप्ताह बाद ही क्लियर हो सकती है। इससे मार्केट के सेंटीमेंट को स्थिर करने में मदद कर सकती है।
स्टॉक बॉक्स में रिसर्च हेड मनीष चौधरी ने बताया कि कई कारणों ने बाजार में हालिया गिरावट को जन्म दिया है। इसमें यूएस बांड यील्ड्स, डॉलर इंडेक्स और क्रूड ऑइल प्राइसेस में मजबूती जैसे कारण शामिल हैं। इसके अलावा ट्रंप की ट्रेड पोलियों को लेकर निवेशकों में चिंता और देसी कंपनियों के तिमाही नतीजों पर निवेशकों में घबराहट से लिवाली हो गई है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में हेड कमोडिटीज एंड करेंसी अनुज गुप्ता के अनुसार, बजट 2024 और डोनल्ड ट्रंप की ताजपोशी से पहले निवेशक सतर्क रुख अपना रहे हैं। इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपया में लगातार गिरावट ने भी निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। यूएस बांड यील्ड में मजबूती ने विदेशी निवेशकों को अपनी तरफ आकर्षक किया है। उन्होंने कहा कि बाजार आगे कैसा रियेक्ट करेगा यह ट्रंप सरकार की नयी नीतियां, आगामी बजट 2024 और डॉलर इंडेक्स पर निर्भर रहेगा।
बाजार में गिरावट के बीच क्या स्ट्रेटिजी अपनाए निवेशक?
खेमका ने कहा कि निवेशकों को अमेरिकी पॉलिसी और देसी कंपनियों के तिमाही नतीजों को लेकर और अधिक स्पष्टता सामने आने तक सतर्क रुख रखते हुए “वेट एंड वाच” की स्ट्रेटिजी अपनानी चाहिए।
स्टॉक बॉक्स में रिसर्च हेड मनीष चौधरी ने कहा कि मौजूदा स्तरों से गिरावट का जोखिम सीमित दिखता है। ऐसे में उन हाई क्वालिटी वाले शेयरों में पोजिशनिंग करना सही रहेगा जिनमें मीडियम से लॉन्ग टर्म में वैल्यूएशन अच्छा है। आगामी बजट और फरवरी में आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक में भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रोथ को गति देने के उपाय बाजार का मूड-माहौल बदल सकते हैं।
वहीं, अनुज गुप्ता का कहना है कि निवेशकों को ज्यादा एग्रेसिव होने से बचना चाहिए। उन्होंने निवेशकों को फिलहाल कम क्वांटिटी में ट्रेड करना चाहिए और जो आने वाले समय में आगे इवेंट आ रहे हैं उन्हें देख कर ही निवेश करें।