Sensex-Nifty Crash: भारतीय शेयर बाजारों ने साल 2024 की शुरुआत में जो Bull Run देखी थी, वो अब लगता है गुजरे जमाने की बात हो गई. सितंबर महीने के अंत से ही जो गिरावट की शुरुआत हुई, वो जनवरी, 2025 में भी जारी है. और सबसे अहम बात ये है कि ग्लोबल बाजार भी सुस्त हैं. डॉलर की मजबूत होती स्थिति और जियो-पॉलिटिकल अनिश्चितताओं को लेकर हर जगह सतर्कता बनी हुई है. और अभी इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय शेयर बाजार में दिख रहा है.
आज की बात करें तो सोमवार को बाजार में भारी-भरकर गिरावट आई. बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स-निफ्टी 1-1 प्रतिशत तक गिर गए. निफ्टी 23,100 का लेवल भी तोड़ता हुआ दिखा. ऐसे में सवाल है कि आज किन वजहों से बाजार में गिरावट आई.
शेयर बाजार में क्यों आई गिरावट?
भारतीय शेयर बाजार इस समय कमजोरी के दौर से गुजर रहे हैं. इसके पीछे कई कारण हैं-
1. अमेरिका और ट्रंप से कौन से आ रहे संकेत?
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां महंगाई बढ़ा सकती हैं, जिससे ब्याज दरों में कटौती में देरी हो सकती है. इससे अमेरिकी बिजनेस निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक हो जाते हैं. ट्रंप के आयात पर प्रस्तावित टैरिफ भारतीय कंपनियों पर असर डाल सकते हैं, जो अपने बिजनेस के लिए अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं. इससे इन कंपनियों के भविष्य का आउटलुक प्रभावित हो सकता है.
हाल ही में अमेरिका में 256,000 नई नौकरियां जुड़ीं, जो अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति को दर्शाती हैं. ये आंकड़े ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों को कम करते हैं, जिससे डॉलर मजबूत हो रहा है और एफआईआई (FIIs) का भारतीय बाजार से पैसा निकालने का सिलसिला तेज हो गया है.
2. डॉलर की मजबूती
अमेरिकी डॉलर मजबूत हो रहा है, जिससे विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) भारतीय जैसे विकासशील बाजारों से मुनाफा निकाल रहे हैं. डॉलर में कमाई कम अनुकूल दिख रही है, जिससे भारतीय बाजार पर दबाव बढ़ रहा है. डॉलर की मजबूती के कारण भारतीय रुपये की कीमत घट रही है, जिससे भारतीय बाजारों में और गिरावट आई है.
3. भारतीय कंपनियों पर प्रभाव
भारतीय अर्थव्यवस्था की धीमी विकास दर के कारण भारतीय कंपनियों की अर्निंग ग्रोथ भी कम हो रही है. पिछले कुछ वर्षों की तेज आय वृद्धि के बाद अब इनकी वैल्यूएशन में गिरावट आ रही है.
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय बाजार में 4-6% की और गिरावट हो सकती है, इसके बाद रिकवरी शुरू होगी. ट्रंप की नीतियों पर स्पष्टता उनके शपथ ग्रहण के 1-2 सप्ताह बाद आने की संभावना है. इससे बाजार का सेंटीमेंट थोड़ा स्टेबल हो सकता है.
मिड-स्मॉलकैप में किसको किस बात का डर?
मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने कहा कि मिड-स्मॉलकैप शेयरों की बिकवाली से रिटेल निवेशक सहमे हुए हैं. जिन शेयरों में अब भी मुनाफा है उसमें डिलीवरी बेस्ड बिकवाली आ रही है. डर एक ही है कि मुनाफे वाले शेयर भी नुकसान में ना आ जाएं. अब तक इनमें रिजल्ट सीजन की शुरुआत नहीं हुई है.
कौन-सा लेवल टूटना है सबसे खतरनाक?
उन्होंने कहा कि 23250 के नीचे बंद होने पर निफ्टी में नई गिरावट का खतरा होगा. बैंक निफ्टी तो पहले से ही कमजोरी के संकेत दे चुका है. निफ्टी 23600, बैंक निफ्टी 49850 के ऊपर निकलने पर ही कमजोरी खत्म होने के संकेत देगा.
इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स क्या करें?
अनिल सिंघवी ने कहा कि निवेशक पैनिक के माहौल में शांत रहें. सिर्फ पोर्टफोलियो का रिस्क मैनेजमेंट करें. ट्रेडर्स उछाल में पोजीशन हल्की करें या बिकवाली करें. एकतरफा तेज गिरावट के बाद उतार-चढ़ाव बढ़ने की आशंका है.