रियल एस्टेट सेक्टर को इस बार यूनियन बजट से काफी उम्मीदें हैं। यह सेक्टर लंबे समय से सरकार से मदद की मांग कर रहा है। उसे उम्मीद है कि 1 फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण रियल एस्टेट सेक्टर को उद्योग का दर्जा देने का ऐलान करेंगी। कोविड की महामारी की सबसे ज्यादा मार रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ी थी। अब यह सेक्टर उस क्राइसिस से बाहर आ गया है। अगर सरकार इस सेक्टर के लिए टैक्स इनसेंटिव और दूसरी मदद का ऐलान करती है यह सेक्टर काफी तेज ग्रोथ हासिल कर सकता है।
रियल एस्टेट सेक्टर की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि सरकार को सबसे पहले होम लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शन बढ़ाना चाहिए। उसके बाद जीएसटी इनपुट्स के टैक्स क्रेडिट रूल्स में बदलाव करना चाहिए। सरकार को रियल एस्टेट सेक्टर के लिए आसान सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम शुरू करना चाहिए। इससे यह सेक्टर तेजी से ग्रोथ करेगा। इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ाने के लिए रियल एस्टेट सेक्टर की ग्रोथ बढ़ानी होगी। इसकी वजह यह है कि इस सेक्टर की तेज ग्रोथ का फायदा स्टील, सीमेंट, पेंट, इलेक्ट्रिकल और लाइटिंग कंपनियों को भी मिलता है।
ANAROCK ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि साल 2024 की दूसरी छमाही में रियल एस्टेट सेक्टर में गतिविधियों में सुस्ती दिखी थी। इसलिए इस सेक्टर की ग्रोथ बढ़ाने वाले उपाय काफी जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर का मानना है कि सरकार को इंडस्ट्री का दर्जा की उसकी मांग इस बार जरूर पूरी कर देनी चाहिए। इसके अलावा अगर घर खरीदने वालों के लिए होम लोन पर टैक्स बेनेफिट बढ़ाया जाता है तो इसका इस सेक्टर पर पॉजिटिव असर पड़ेगा।
रियल एस्टेट कंपनियों का कहना है कि सरकार को होम लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शन बढ़ाकर कम से कम 5 लाख रुपये कर देना चाहिए। अभी होम लोन के इंटरेस्ट पर 2 लाख रुपये तक का डिडक्शन मिलता है। इसके अलावा REIT के निवेशकों को इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का फायदा मिलना चाहिए। साथ ही जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट के नियमों में बदलाव होना चाहिए। इससे घर खरीदने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी।
अभी होम लोन पर दो तरह का टैक्स बेनेफिट मिलता है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24बी के तहत एक वित्त वर्ष में होम लोन के इंटरेस्ट पर मैक्सिमम 2 लाख रुपये का डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत है। इसके अलावा इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत होम लोन के प्रिंसिपल पर भी डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत है। यह सेक्शन 80सी की मैक्सिमम लिमिट तक है। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर वित्तमंत्री सेक्शन 24बी के डिडक्शन को बढ़ाकर 5 लाख कर देती है और होम लोन के प्रिंसिपल पर डिडक्शन के लिए अलग कैटेगरी बना देती हैं तो इससे रियल एस्टेट सेक्टर को पंख लग जाएंगे।
वित्तमंत्री अगर 1 फरवरी को रियल एस्टेट सेक्टर को इंडस्ट्री का दर्जा, जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट के नियमों में बदलाव, सेक्शन 24बी के तहत 5 लाख रुपये का डिडक्शन और होम लोन के प्रिंसिपल पर डिडक्शन की अलग कैटेगरी का ऐलान करती हैं तो इससे रियल एस्टेट कंपनियों के शेयरों में उछाल आ सकता है। DLF, Phoenix Mills, Oberoi Realty, Godrej Properties जैसी कंपनियों के स्टॉक्स का प्रदर्शन मिलाजुला रहा है।
DLF के स्टॉक ने एक साल में 12 फीसदी का निगेटिव रिटर्न दिया है। Phoenix Mills के शेयरों ने बीते एक साल में करीब 23 फीसदी का रिटर्न दिया है। Oberoi Realty के शेयरों ने इस दौरान 28 फीसदी का रिटर्न दिया है। गोदरेज प्रॉपर्टीज के शेयरों ने करीब 3 फीसदी का निगेटिव रिटर्न दिया है।