साल 2024 में डीमैट खातों की संख्या 4.6 करोड़ बढ़ी। इस तरह से पिछले साल हर महीने औसतन 38 लाख नए खाते जुड़े। नए खाते जुड़ने से पिछले साल से डीमैट खातों की संख्या में 33 फीसदी का इजाफा हुआ और कुल डीमैट खातों की संख्या 18.53 करोड़ हो गई।
कोविड-19 के बाद से भारत में डीमैट खातों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। इसे खाता खोलने में आसानी, स्मार्टफोन का प्रसार और बाजार में अनुकूल रिटर्न आदि से मजबूती मिली है। पिछले पांच साल में डीमैट खातों की संख्या चार गुनी हो गई है जो साल 2019 में 3.93 करोड़ थी।
सेकंडरी बाजार में लाभ और रिकॉर्ड आरंभिक सार्वजनिक निर्गम पेश होने के बीच साल 2024 के पहले नौ महीने में 3.6 करोड़ नए डीमैट खाते जुड़े। हालांकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली और आय के मोर्चे पर निराशा के कारण बाजार में गिरावट आ गई और अगले दो महीने में नए डीमैट खाते कम खुले। अक्टूबर और नवंबर में एफपीआई ने कुल मिलाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये की इक्विटी की बिकवाल की।
दिसंबर में साल 2024 के रिकॉर्ड आईपीओ आए। वर्ष 1996 के बाद सार्वजनिक पेशकश के लिहाज से यह सबसे अच्छा दिसंबर रहा जिससे नए डीमैट खाते खुलने की रफ्तार थोड़ी सुधरी। डीमैट खातों का उपयोग शेयरों और अन्य प्रतिभूतियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से रखने के लिए किया जाता है। बाजार विशेषज्ञ डीमैट खुलने की सतत रफ्तार को बाजार की स्थिरता के लिए सकारात्मक संकेत के रूप में देखते हैं।
पिछले महीने 15 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 25,438 करोड़ रुपये जुटाए। वहीं 2024 में करीब 91 कंपनियों ने 1,59,783 करोड़ रुपये जुटाए थे। मुख्य रूप से आईपीओ में हिस्सा लेने के लिए बड़ी संख्या में निवेशक डीमैट खाते खोलते हैं। आईपीओ में शेयर आवंटन की संभावना बढ़ाने के लिए निवेशक परिवार के सदस्यों के नाम से भी नए डीमैट खाते भी खोलते हैं।
एक ब्रोकरेज फर्म के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन नए निवेशकों से वृद्धिशील प्रवाह विदेशी फंडों या मौजूदा निवेशकों की किसी भी तरह की निकासी की भरपाई करने में मदद करेगा और यह उतार-चढ़ाव को नियंत्रण में रखने में भी मददगार होगा। नए जुड़ाव की रफ्तार बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करेगी।