लक्ष्मी डेंटल लिमिटेड का इनिशियल पब्लिक ऑफर यानी IPO 13 जनवरी को ओपन होगा। निवेशक इस इश्यू के लिए 15 जनवरी तक बिडिंग कर सकेंगे। 20 जनवरी को कंपनी के शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर लिस्ट होंगे।
इस इश्यू के जरिए कंपनी टोटल ₹698.06 करोड़ जुटाना चाहती है। इसके लिए कंपनी के मौजूदा निवेशक ₹560.06 करोड़ के 1,30,85,467 शेयर बेच रहे हैं। इसके साथ ही कंपनी ₹138 करोड़ के 32,24,299 फ्रेश शेयर इश्यू कर रही है।
अगर आप भी इसमें पैसा लगाने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं कि आप इसमें कितना निवेश कर सकते हैं।
मिनिमम और मैक्सिमम कितना पैसा लगा सकते हैं?
लक्ष्मी डेंटल लिमिटेड ने IPO का प्राइस बैंड ₹407-₹428 तय किया है। रिटेल निवेशक मिनिमम एक लॉट यानी 33 शेयर्स के लिए बिडिंग कर सकते हैं। यदि आप IPO के अपर प्राइज बैंड ₹428 के हिसाब से 1 लॉट के लिए अप्लाय करते हैं, तो इसके लिए ₹14,124 इन्वेस्ट करने होंगे।
वहीं, मैक्सिमम 14 लॉट यानी 462 शेयर्स के लिए रिटेल निवेशक अप्लाय कर सकते हैं। इसके लिए निवेशकों को अपर प्राइज बैंड के हिसाब से ₹1,97,736 इन्वेस्ट करने होंगे।
इश्यू का 10% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स के लिए रिजर्व
कंपनी ने IPO का 75% हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए रिजर्व रखा है। इसके अलावा 10% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स और बाकी का 15% हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए रिजर्व है।
लक्ष्मी डेंटल लिमिटेड की स्थापना जुलाई 2004 में हुई थी
लक्ष्मी डेंटल लिमिटेड एक इंटीग्रेटेड डेंटल प्रोडक्ट कंपनी है, जिसकी स्थापना जुलाई 2004 में हुई थी। कंपनी कस्टम क्राउन और ब्रिज, क्लियर एलायनर्स, थर्मोफॉर्मिंग शीट्स और पीडियाट्रिक डेंटल जैसे अन्य डेंटल प्रोडक्ट्स बनाती है।
कंपनी टैग्लस ब्रांड नाम के तहत थर्मोफॉर्मिंग शीट, बायोकम्पैटिबल 3डी प्रिंटिंग रेजिन और क्लियर एलाइनर्स को बनाने के लिए मशीनें भी प्रोवाइड करती है। कंपनी पूरी तरह से इंटीग्रेटेड मॉडल पर काम करती है, जिसका मतलब है कि वे डेंटल प्रोडक्ट के डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन तक की पूरी प्रोसेस को संभालती है।
IPO क्या होता है? जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स को आम लोगों के लिए जारी करती है तो इसे इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO कहते हैं। कंपनी को कारोबार बढ़ाने के लिए पैसे की जरूरत होती है। ऐसे में कंपनी बाजार से कर्ज लेने के बजाय कुछ शेयर पब्लिक को बेचकर या नए शेयर इश्यू करके पैसा जुटाती है। इसी के लिए कंपनी IPO लाती है।