Share Market: शेयर बाजार में आज 6 जनवरी को भारी गिरावट आई। सेंसेक्स-निफ्टी से लेकर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों तक, हर जगह तबाही का आलम रहा। HMPV वायरस के मामले कई निवेशकों को जनवरी 2020 की याद दिला रहे हैं, जब कोरोना वायरस की आहट से शेयर बाजार धराशायी हो गए थे। इस गिरावट ने एक बड़ा सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या इस गिरावट को खरीदारी के मौके के रूप में देखना चाहिए या अभी थोड़ा और इंतजार करना चाहिए? कुल मिलाकर अभी बाजार के सामने एक बड़ा खतरा है, जिससे निवेशकों को बचना चाहिए। इसके अलावा 3 और कारण भी है, जो उन्हें बड़ा दांव लगाने से रोक सकते हैं। आइए इन्हें एक-एक कर जानते हैं-
डरने की बड़ी वजह: कमजोर अर्निंग्स ग्रोथ
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों को एक बार फिर खुद को खराब तिमाही नतीजों के लिए तैयार कर लेना चाहिए। इस वित्त वर्ष में कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ कमजोर नजर आ रही है और ये केवल 5% तक सीमित रह सकती है। इससे पहले दूसरी तिमाही में भी अधिकतर कंपनियों के नतीजे खराब रहे थे, जिसके बाद मार्केट एक्सपर्ट्स ने उनकी रेटिंग और टारगेट प्राइस में कटौती की थी। तीसरी तिमाही में भी स्थिति बेहतर नहीं लग रही। अगर अर्निंग्स उम्मीदों से कम रहती हैं, तो यह बाजार में और गिरावट ला सकती है।
इसके अलावा 3 और कारण है जो निवेशकों को बहुत अधिक लालची होने यानी बड़ा दांव लगाने से रोक रहे हैं।
1. HMPV वायरस का खतरा
आज के दिन सबसे अधिक सुर्खियों में यही वायरस रहा, लेकिन अभी निवेशकों को इसे लेकर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। कोई यह अनुमान नहीं लगा सकता कि आगे इसका रूप कैसा होगा। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोराना जैसी घबराने की कोई बात नहीं है। लेकिन शेयर बाजार कभी भी अनिश्चितता को पसंद नहीं करता है। ऐसे में अगर यह वायरस फैला, तो निवेशकों का आत्मविश्वास डगमगा सकता है। लोग बाजार से पैसे निकाल सकते हैं या नया पैसा लगाने से बचेंगे। दोनी ही सूरत में बाजार के लिए यह एक जोखिम वाली बात है।
2. ऊंचे वैल्यूएशन का दबाव
ये वैल्यूएशन हमेशा से 2 नावों की सवारी होती है। जबतक अर्निंग ग्रोथ की नाव सही चलती है, अच्छे आंकड़े आते हैं, तब तक वैल्यूएशन की नाव भी साथ में चलती रहती है। पिछले 4 सालों से शानदार अर्निंग ग्रोथ के शेयरों की कीमतें आसामन छू रही थीं। लेकिन अब अर्निंग्स ग्रोथ धीमी होने के साथ ही इनका वैल्यूएशन भी ऊंचा नजर आने लगा है। हालिया गिरावट ने कुछ राहत जरूर दी है, लेकिन अभी इन स्टॉक्स की रेटिंग अपग्रेड की गुंजाइशन काफी कम दिख रही है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, NSE 500 में से अभी 433 शेयरों का अगले वित्त वर्ष तक के अर्निंग्स अनुमान उपलब्ध हैं। इनमें से आधे से ज्यादा करीब 273 शेयर का P/E मल्टीपल 25 से ऊपर है।
यहां से अब से 2 केस बनते हैं। पहला बुल केस- अगर इन कंपनियों के अर्निंग्स ग्रोथ उम्मीदों के मुताबिक आते हैं, तो फिर इनके शेयरों में स्थिरता या तेजी देख सकती है। वहीं अगर इसके अलट मामला होता है, यानी इनके नतीजे खराब रहते हैं, तो स्टॉक्स में और गिरावट हो सकती है। इसलिए वैल्यूएशन के साथ कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ संभावनाओं को जरूर देखा।
3. विदेशी निवेशकों की बिकवाली
मार्च 2021 में भारतीय शेयर बाजार में FIIs की हिस्सेदारी 20.95% थी, जो अब इस समय घटकर 16.1% पर आ गई है। इसका एक बड़ा कारण है विदेशी निवेशकों को इस समय अमेरिका में ही बेहतर रिटर्न मिल रहे हैं। इसके अलावा, भारत में ऊंचे वैल्यूएशन और कमजोर अर्निंग्स ग्रोथ भी नए विदेशी निवेश को आकर्षित नहीं कर पा रहे। जब तक ये फैक्टर स्थिर नहीं होते, तब तक बाजार में FII का सपोर्ट वापस आना मुश्किल है।”
कुल मिलाकर कहें तो, अब तक ‘Buy on Dip’ यानी गिरावट पर खरीदारी करने की रणनीति रही है, लेकिन इस बार ‘वेट एंड वॉच’ करना अधिक बेहतर हो सकता है। साथ ही शेयर बाजार में निवेश का एक गोल्डन रूल हमेशा याद रखें। कभी भी जल्दबाजी न करें, यानी कभी भी एक बार में बड़ा दांव नहीं लगाएं। बल्कि धीरे-धीरे खरीजारी करें और समझदारी से काम लें।
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