म्यूचुअल फंड्स के टैक्स के नियमों में सरकार ने इस साल जुलाई में पेश बजट में बड़े बदलाव किए थे। नियमों में बदलाव से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स काफी बढ़ गया था। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स में भी थोड़ा इजाफा हुआ था। लेकिन, इसका ज्यादा असर म्यूचुअल फंड्स में निवेशकों की दिलचस्पी पर नहीं पड़ा। म्यूचुअल फंड्स इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट बढ़कर 68 लाख करोड़ रुपये हो गया है। क्या 1 फरवरी, 2025 को पेश होने वाले यूनियन बजट में क्या वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण म्यूचुअल फंड्स के टैक्स नियमों में बदलाव करेंगी?
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि 1 फरवरी, 2025 को म्यूचुअल फंड्स की इक्विटी स्कीम के टैक्स के नियमों में बदलाव की उम्मीद कम है। लेकिन, डेट म्यूचुअल फंड्स के टैक्स नियमों में सरकार बदलाव कर सकती है। सरकार ने 1 फरवरी, 2023 को डेट म्यूचुअल फंड के नियमों में बदलाव किया था। नए नियम 1 अप्रैल, 2023 से लागू हो गए । नए नियमों के तहत डेट म्यूचुअल फंड्स के कैपिटल गेंस को इनवेस्टर्स की इनकम में जोड़ दिया जाता है। फिर उसके टैक्स स्लैब के हिसाब से उस पर टैक्स लगता है। अब डेट म्यूचुअल फंड के शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स में फर्क नहीं रह गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार डेट फंड के कैपिटल गेंस टैक्स के नियम में बदलाव कर सकती है।
इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के टैक्स के नियम अलग हैं। टैक्स के लिहाज से ऐसे फंड को इक्विटी फंड माना जाता है, जो अपना कम से कम 65 फीसदी पैसा स्टॉक्स में निवेश करता है। 23 जुलाई, 2024 को पेश बजट में सरकार ने इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया था। निवेश के 12 महीने के बाद बेचने पर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के गेंस को लॉन्ग टर्म गेंस माना जाता है। 12 महीने से पहले बेचने पर हुए गेंस को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस कहा जाता है। सरकार ने जुलाई में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया था।
सरकार ने इस साल जुलाई में शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के 1.25 लाख रुपये के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस को टैक्स से छूट देने का ऐलान किया था। पहले यह एक वित्त वर्ष में शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड के 1 लाख रुपये तक के कैपिटल गेंस को ही टैक्स से छूट हासिल थी। हालांकि, इस साल जुलाई में कैपिटल गेंस टैक्स रेट को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया था। इसका मतलब है कि अगर एक वित्त वर्ष में स्टॉक्स और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 1.25 लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटल गेंस होता है तो अतिरिक्त गेंस पर 12.5 फीसदी टैक्स लगेगा।