भारतीय शेयर बाजार ने अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई से करीब 10 फीसदी लुढ़कने के बावजूद साल 2024 में लगातार 9वीं वार्षिक बढ़त दर्ज की। हालांकि बढ़त की रफ्तार पिछले साल के मुकाबले धीमी रही क्योंकि निवेशकों को आय वृद्धि में नरमी, रुपये में गिरावट और अमेरिकी बाजार में तेजी के आकर्षण जैसी स्थितियों से जूझना पड़ा।
साल के अंतिम कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 78,139 पर और निफ्टी 23,645 पर बंद हुए। साल 2024 में सेंसेक्स ने 8.2 फीसदी और निफ्टी ने 8.8 फीसदी की बढ़त दर्ज की। यह पिछले साल के मुकाबले नरमी को दर्शाता है क्योंकि पिछले साल दोनों सूचकांकों में करीब 20 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई थी। बहरहाल, व्यापक बाजार सूचकांक निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 ने 24 फीसदी की शानदार बढ़त दर्ज करते हुए दमदार प्रदर्शन किया।
सितंबर में बेंचमार्क सूचकांकों ने अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचते हुए 20 फीसदी तक की बढ़त दर्ज की थी। मगर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की ओर से की गई भारी बिकवाली के कारण सूचकांकों को तगड़ा झटका लगा। कॉरपोरेट आय के निराशाजनक रहने से भारतीय बाजार के प्रीमियम मूल्यांकन को वाजिब ठहराना मुश्किल हो गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार भले ही नवंबर के निचले स्तर से उबर चुका है लेकिन उसे कई चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। इनमें धीमी होती वृहद एवं आय चक्र, मूल्यांकन में विस्तार की सीमित गुंजाइश और एफपीआई की लगातार बिकवाली का दबाव शामिल है। भारत एवं अन्य उभरते बाजारों को अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा किए जाने वाले नीतिगत बदलाव के प्रभाव से निपटने के लिए भी उपाय करने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा चीन के प्रोत्साहन उपाय भी उभरते बाजारों के प्रदर्शन को प्रभावित करेगा।
बोफा ग्लोबल रिसर्च की प्रमुख कैंडेस ब्राउनिंग ने एक हालिया नोट में कहा, ‘साल 2024 में अमेरिकी वृद्धि दर में तेजी ने सबको अचंभित कर दिया। इसके अलावा मुद्रास्फीति भी सही दिशा में रही। इससे केंद्रीय बैंकों ने नीतियों में ढील देना शुरू किया, जोखिम वाली परिसंपत्तियों का प्रदर्शन अच्छा रहा और वैश्विक शेयरों ने नई ऊंचाइयों को छुआ। मगर 2025 के नजदीक आते ही नीति अनिश्चितता काफी हद तक बढ़ गई। कई नीतिगत बदलाव अमेरिकी शेयर बाजार के लिए सकारात्मक होने चाहिए लेकिन वह काफी हद तक समय और बाकी दुनिया की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा।’
अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि नया साल भारतीय शेयर बाजार के लिए एकल अंक अथवा दो अंकों में कम रिटर्न का साल रहेगा जहां उतार-चढ़ाव हालिया वर्षों के मुकाबले ज्यादा दिखना चाहिए। भारतीय ब्रोकरेज फर्म एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने 2025 के अंत तक निफ्टी का लक्ष्य 26,482 रखा है। इसी प्रकार कोटक सिक्योरिटीज ने 2025 के अंत तक निफ्टी का लक्ष्य 26,100 निर्धारित किया है। इसका मतलब साफ है कि उसमें मौजूदा स्तर के मुकाबले 10 से 12 फीसदी बढ़त की उम्मीद है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कर्याधिकारी धीरज रेली ने कहा, ‘साल 2025 के करीब आते-आते बाजार का मूल्यांकन ही सबसे बड़ी चिंता बन गई। इसका मतलब यह नहीं है कि अब कोई अवसर मौजूद नहीं है और एक परिसंपत्ति वर्ग के रूप में शेयरों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहेगा। मगर रिटर्न के लिए हमें अपनी उम्मीदें कम करनी होंगी।’
हाल में विदेशी ब्रोकरेज फर्म यूबीएस और नोमुरा ने भी अधिक मूल्यांकन और नीतिगत दरों में कटौती के लिए आरबीआई की सीमित क्षमता के कारण भारतीय बाजार की रेटिंग में गिरावट के प्रति आगाह किया था। बहरहाल निफ्टी50 सूचकांक फिलहाल 12 महीने की अनुमानित आय के 19.6 गुना पर कारोबार कर रहा है। इसी प्रकार निफ्टी मिडकैप100 और निफ्टी स्मॉलकैप100 क्रमशः 31 गुना और 23 गुना पर कारोबार कर रहे हैं। मूल्यांकन सूचकांक के दीर्घकालिक औसत से अधिक हैं।