जामनगर रिफाइनरी दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे कॉम्पलेक्स सिंगल-साइट रिफाइनरी है, जिसमें 1.4 मिलियन बैरल प्रति दिन (MMBPD) क्रूड प्रोसेसिंग क्षमता और 21.1 का complexity index है – जो दुनिया में सबसे अधिक है।
इसकी क्रूड प्रोसेसिंग क्षमता को उच्च गुणवत्ता वाली लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर का सपोर्ट मिलता है, जिसमें मैरिन सुविधा भी शामिल है, जो गैस वाहक और छोटे रासायनिक वाहक से लेकर दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल (VLCC) और उत्पाद जहाजों तक पहुँच प्रदान करती है और उन्हें बर्थिंग की सुविधा देती है।
इतना ही नहीं जामनगर रिफाइनरी के पास दुनिया का सबसे बड़ा पेटकोक गैसीफायर है जिसे कोयले और पेटकोक दोनों पर चलाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो कच्चे माल की लागत के आधार ऑपरेट किया जा सकता है। इनकी पेटकोक गैसीफिकेशन इकाइयाँ इन्हें कच्चे तेल (crude oil) के बैरल से full-value निकालने की सुविधा देता है, जिसके चलते कम से कम वेस्टेज के साथ हर बैरल से अधिकतम क्षमता वाले उत्पाद produce किए जाते हैं।
जामनगर रिफाइनरी में दुनिया के सबसे बड़े पैराक्सीलीन कॉम्प्लेक्स को सफलतापूर्वक संचालित किया है, साथ ही जामनगर में दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनरी ऑफ-गैस क्रैकर (ROGC) कॉम्प्लेक्स का डिज़ाइन भी सफलतापूर्वक चालू किया है। इस तरह RIL भारत का सबसे बड़ा एकीकृत पेट्रोकेमिकल उत्पादक है, वहीं दुनिया का सबसे बड़ा एकीकृत पॉलिएस्टर उत्पादक हैं। इसी तरह ये दुनिया में Purified Terephthalic Acid (PTA)और Polypropylene (PP) के शीर्ष पाँच उत्पादकों में से हैं, और Paraxylene (PX) उत्पादन में वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर हैं।
RIL की जामनगर रिफाइनरी ने किए स्थापना के 25 साल पूरे
इसी जामनगर रिफाइनरी ने अपने 25 साल पूरे किए हैं। रिलायंस ने गुजरात के जामनगर में 25 साल पहले, 28 दिसंबर, 1999 को अपनी पहली रिफाइनरी शुरू की थी। इस रिफाइनरी ने रातों-रात भारत को ईंधन की कमी वाले देश से आत्मनिर्भर और बाद में अधिशेष वाले देश में बदल दिया, जिससे यूरोप और अमेरिका को गैसोलीन और गैसोइल का निर्यात किया जाने लगा। आज, जामनगर दुनिया का रिफाइनिंग केंद्र बन गया है। इसे इंजीनियरिंग चमत्कार कहा जाता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि 2.7 करोड़ टन प्रति वर्ष (560,000 बैरल प्रति दिन) क्षमता वाली इकाई का निर्माण एशिया में समकालीन रिफाइनरियों की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत कम लागत (प्रति टन) पर किया गया था। बाद में इस इकाई का विस्तार करके इसे 3.3 करोड़ टन कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि भारत की पहली निजी क्षेत्र की रिफाइनरी ने अकेले ही भारत की कुल रिफाइनिंग क्षमता में 25 प्रतिशत की वृद्धि की और भारत को परिवहन ईंधन में आत्मनिर्भर बनाया। इस परियोजना ने बंजर क्षेत्र को पूरी तरह से एक हलचल भरे औद्योगिक केंद्र में बदल दिया।
जब दुनिया ने कहा था- ‘गलती कर रहे हो धीरुभाई’
जब रिलायंस के संस्थापक चेयरमैन धीरूभाई अंबानी रिफाइनरी स्थापित करने के अपने लंबे समय के सपने को पूरा करना चाहते थे, तो उन्हें जामनगर के पास बंजर और उजाड़ क्षेत्र में मोतीखावड़ी नामक एक शांत गांव के पास जमीन की पेशकश की गई थी। अग्रणी विश्वस्तरीय परियोजना सलाहकारों ने धीरूभाई को रेगिस्तान जैसे क्षेत्र में निवेश न करने की सलाह दी, जहां सड़कें, बिजली या यहां तक कि पर्याप्त पेयजल भी नहीं था। उन्होंने चेतावनी दी थी कि ऐसे जंगल में जनशक्ति, सामग्री, तकनीकी विशेषज्ञ और हर अन्य इनपुट जुटाने के लिए असाधारण प्रयासों की आवश्यकता होगी। अधिकांश विशेषज्ञों ने कहा था कि किसी भारतीय कंपनी के लिए तीन साल में दुनिया की सबसे बड़ी जमीनी स्तर की रिफाइनरी स्थापित करना असंभव होगा। चुनौतियां पसंद करने वाले धीरूभाई ने सभी आलोचकों की अवहेलना की, और रिलायंस ने यह उपलब्धि मात्र 33 महीने के विश्व रिकॉर्ड समय में हासिल कर ली, जबकि उस समय बुनियादी ढांचे का अभाव था और जामनगर में भीषण चक्रवात आया था।
क्यों खास है जामनगर रिफाइनरी अंबानी परिवार के लिए
जामनगर अंबानी परिवार के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यहीं से मुकेश अंबानी के पिता धीरूभाई अंबानी ने अपना कारोबार शुरू किया था। यह मुकेश अंबानी की मां कोकिलाबेन अंबानी का जन्मस्थान भी है।
एक एजीएम के दौरान मुकेश अंबानी ने जामनगर को “दुनिया की ऊर्जा राजधानी” बनाने की रिलायंस की योजनाओं के बारे में भी बताया था। उन्होंने धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा मैन्युफैक्चरिंग कॉम्प्लेक्स का जिक्र करते हुए कहा कि 2025 तक जामनगर रिलायंस के न्यू एनर्जी कारोबार का केंद्र बन जाएगा। कंपनी जामनगर में 5,000 एकड़ में फैली सबसे बड़ी एकीकृत अक्षय ऊर्जा विनिर्माण सुविधाओं में से एक बनाने के लिए 75,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रही है।
मुकेश अंबानी ने भारत को वैश्विक व्यापार में एक प्रेरक शक्ति बताया और कहा कि रिलायंस राष्ट्रीय हितों के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हम धन संचय करने के कारोबार में नहीं हैं, बल्कि भारत के लिए धन और ऊर्जा सुरक्षा बनाने के कारोबार में हैं।
क्या है RIL की प्रोफाइल
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड सभी प्रमुख वित्तीय मापदंडों पर भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की कंपनी है। 2004 में रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) फॉर्च्यून ग्लोबल 500 सूची में सूचीबद्ध होने वाला पहला भारतीय निजी क्षेत्र का संगठन बन गया। कंपनी देश भर में इलाहाबाद, बाराबंकी, दहेज, हजीरा, होशियारपुर, जामनगर, नागोथने, नागपुर, नरोदा, पातालगंगा, सिलवासा और वडोदरा में विश्व स्तरीय विनिर्माण सुविधाएं संचालित करती है। कंपनी हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और उत्पादन, तेल से लेकर रसायन खुदरा और डिजिटल सेवाओं तक फैली गतिविधियों में लगी हुई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज की गतिविधियों में हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और उत्पादन, पेट्रोलियम शोधन और विपणन, पेट्रोकेमिकल खुदरा और दूरसंचार शामिल हैं। पेट्रोकेमिकल्स खंड में पेट्रोकेमिकल उत्पादों का उत्पादन और विपणन कार्य शामिल हैं कंपनी की शुरुआत एक छोटी कपड़ा निर्माता इकाई के रूप में हुई थी। 8 मई 1973 को आरआईएल को शामिल किया गया और वर्ष 1985 में इसका नाम बदलकर आरआईएल कर दिया गया।