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नए साल में अस्थिरता दिखा सकता है बाजार, लेकिन टिके रहने वाले फायदे में रहेंगे

साल 2020 से 2024 के कोविड के बाद के दौर को शेयर बाजार के लिए T20 मुकाबले जैसा माना जा सकता है। इस दौरान स्मॉल कैप्स ने साढ़े 5 गुना, मिडकैप्स ने पांच गुना और सेंसेक्स ने तीन गुना रिटर्न दिया। ऐसा कमाल कभी-कभार ही होता है। लेकिन, आमतौर पर निवेशक पिछले रिटर्न को देखकर प्रभावित हो जाते हैं। इस समय भी तमाम निवेशक 2025 से बहुत उम्मीदें लगाए बैठे हैं। हालांकि जैसा लग रहा है उसके हिसाब से नया साल T20 के बजाय टेस्ट मैच जैसा हो सकता है। 2025 में निवेशकों को स्लॉग शॉट्स के बजाय संभलकर खेलना चाहिए।

लार्ज कैप्स से उम्मीद

कई निवेशकों ने पिछले चार बरसों में बिना सोचे-समझे शेयर चुने और उन पर मुनाफा भी कमाया। ऐसे लोग खुद को भाग्यशाली मानते हैं, लेकिन नया साल इनके लिए कठिन साबित हो सकता है। हालांकि यह भी कहा जा सकता है कि 2025 के आखिर तक इक्विटी बेहतर स्थिति में हो सकता है। गोल्ड, सिल्वर, रियल एस्टेट और फिक्स्ड इनकम की तुलना में मार्केट में सोच-विचार कर लगाया गया पैसा अब भी बेहतर रिटर्न दे सकता है। पिछले पांच बरसों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले स्मॉल और मिडकैप्स इस साल मुश्किलों से गुजर सकते हैं। इनके मुकाबले लार्ज कैप्स बेहतर परफॉर्म करेंगे।

ट्रंप का असर

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नीतियों की वजह से अस्थिरता बढ़ सकती है। उनकी अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी के चलते पूरी दुनिया में टैरिफ बढ़ने की संभावना है। इससे विदेशी निवेश पर बुरा असर पड़ सकता है। टैरिफ बढ़ने से महंगाई भी बढ़ सकती है। चूंकि भारत एक्सपोर्ट के मामले में अमेरिका पर बहुत निर्भर नहीं है, तो हम पर थोड़े समय के लिए मिला-जुला असर पड़ सकता है। लेकिन, लंबे वक्त की बात करें तो हमारे लिए यह सकारात्मक साबित हो सकता है।

US जा रहे निवेशक

विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) अभी भारत से पैसे निकालने के मूड में हैं। पहले माना जा रहा था कि वे हिंदुस्तान से अपना निवेश हटाकर चीन में पैसा लगा रहे हैं, लेकिन यह सच नहीं है। विदेशी निवेशकों को अमेरिका में ज्यादा आकर्षक संभावना दिख रही है। वहां वे 4.70% पर 10 साल के लिए ट्रेजरी (गवर्नमेंट बॉन्ड) में इन्वेस्ट कर सकते हैं। ट्रेजरी पेपर रिस्क फ्री होते हैं और करंसी में आने वाले उतार-चढ़ावों का इन पर असर नहीं पड़ता।

वापसी होगी

हालांकि, विदेशी निवेशकों को भारत आखिरकार लौटना होगा। धीरे-धीरे भारत एक अलग asset class के रूप में उभर रहा है। इसे अब चीन, ताइवान, रूस, ब्राजील और दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं से अलग देखा जा रहा है। CNBC USA ने इसी 20 दिसंबर को एक शो दिखाया, जिसमें भारत को ‘परफेक्ट इमर्जिंग मार्केट’ कहा गया। अमेरिका के कई बड़े ETF मैनेजर भारत का दौरा कर रहे हैं ताकि यहां निवेश के मौकों को समझ सकें। शो में वक्ताओं का कहना था कि भारत के पास बिल्कुल सही डेमोग्राफी, बड़ी आबादी, बहुत बड़ा उपभोक्ता बाजार, GDP की तेज रफ्तार, पारदर्शी वित्तीय बाजार और राजनीतिक स्थिरता है। ग्रोथ और निवेशकों के भरोसे के लिए यह बहुत सही माहौल है।

ई-कॉमर्स से उम्मीद

भारत की ई-कॉमर्स कंपनियां अब विदेशी निवेशकों के रडार पर हैं। हम सभी जानते हैं कि जोमैटो, स्विगी, पेटीएम, पॉलिसी बाजार, नौकरी डॉट कॉम जैसी नए दौर की ई-कॉमर्स कंपनियां किस तरह उपभोक्ताओं के व्यवहार को बदल रही हैं। अगले एक दशक में ये कंपनियां आसानी से पांच गुना से लेकर 20 गुना तक हो सकती हैं। यह बहुत बड़ी ग्रोथ है और दुनिया में इसकी दूसरी मिसाल नहीं मिल सकती। इनोवेशन और ई-कॉमर्स पर आधारित कुछ म्यूचुअल फंड स्कीम्स के पिछले 6 महीने के प्रदर्शन को देखा जा सकता है :

– Axis इनोवेशन फंड रेग्युलर (ग्रोथ) : 5.5%
– बंधन इनोवेशन फंड रेग्युलर (ग्रोथ) : 17.72%
– बड़ौदा BNP पारिबा इनोवेशन फंड रेग्युलर (ग्रोथ) : 10.28%
– यूनियन इनोवेशन ऐंड ऑपर्च्युनिटीज फंड रेग्युलर (ग्रोथ) : 15.73%
– UTI इनोवेशन फंड रेग्युलर (ग्रोथ) : 10.06%
– NSE Nifty 50 TRI (Broad Benchmark) : 0.57%

AI का फायदा

निवेशकों को ऑटोमेशन और रोबॉटिक्स पर भी ध्यान देना चाहिए। हम चीन या अमेरिका जितने रोबॉट नहीं बनाते, लेकिन हर रोबॉट के लिए इंजिनियरिंग और स्पेशल पार्ट्स की जरूरत होती है। भारत की कई कंपनियां यह काम करती हैं। औद्योगिक क्रांति के बाद अगली बड़ी क्रांति आर्टिफिशल इंटेलिजेंस है। ब्रिटिश शासन के कारण भारत औद्योगिक क्रांति में पिछड़ गया था। हम करीब 200 साल इससे दूर रहे। हालांकि AI क्रांति के वक्त हमारा देश बहुत हद तक केंद्र में है। भारत का डिजिटल इकोसिस्टम मजबूत है। भारतीय आईटी कंपनियां AI में भागीदारी के लिए तैयार हो रही हैं। निवेशकों के लिए यह बेहतरीन मौका है।

एक्टिव फंड्स

इतिहास हमें बताता है कि अमेरिका की तुलना में भारतीय बाजार काफी अलग है। अमेरिका में टॉप 10 या 12 कंपनियां धन पैदा कर रही हैं। भारत में इसी काम में एक हजार कंपनियां लगी हैं। देश के विकास में कई सेक्टर हिस्सा लेंगे। इसी वजह से पैसिव फंड्स की तुलना में एक्टिव फंड्स का प्रदर्शन बेहतर होना चाहिए।

यकीन बनाए रखें

चीन और अमेरिका के साथ मिलकर भारत दुनिया के विकास की रफ्तार को बनाए रखेगा। अगले एक दशक में देश की जीडीपी ग्रोथ शानदार रह सकती है। विकास में तेजी और पूंजी आकर्षित करने के लिए सरकार समय के साथ रिफॉर्म्स पेश कर सकती है। निवेशकों को बिना किसी संकोच के मान लेना चाहिए कि भारत, विकास की एक गाथा है। अगला दशक उसका होगा। निवेशकों को हिंदुस्तान की ग्रोथ पर यकीन बनाए रखते हुए इससे फायदा लेना चाहिए।

कमजोरी से फायदा

मार्केट की मौजूदा उठापटक में भी मौका है। ओवरवैल्यूड सेक्टर से पैसा निकालकर अंडरवैल्यूड में लगाया जा सकता है। ट्रेंड बताता है कि अमेरिकी डॉलर आगे भी मजबूत बना रहेगा। रुपये के कमजोर होने से आईटी और फार्मा सेक्टर को फायदा हो सकता है। पिछले 6 महीनों में निफ्टी की तुलना में इन दोनों सेक्टर का प्रदर्शन काबिलेगौर रहा है। NSE निफ्टी IT ने 26.19% और निफ्टी फार्मा ने 15.13% का रिटर्न दिया, जबकि इसी दौरान निफ्टी 50 TRI का रिटर्न रहा 0.57%।

बेहतरीन मौका

निवेशकों को प्राइवेट बैंकों में अधिक पैसा लगाना चाहिए। इस क्षेत्र ने पिछले तीन बरसों से अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है, लेकिन 2025 में कहानी बदल सकती है। इसी तरह से एनर्जी सेक्टर पर भी ध्यान देना चाहिए। कुल मिलाकर, 2025 एक अस्थिर साल हो सकता है और हम सभी जानते हैं कि अस्थिरता SIP निवेशकों का सबसे अच्छा साथी है। उतार-चढ़ाव से घबराए बिना SIP जारी रखनी चाहिए। मार्केट गिरेगा तो निवेशकों के पास कम कीमत पर ज्यादा यूनिट खरीदने का मौका होगा। यह साल बाजार में घुसने का अवसर लेकर आएगा।

कैसा रहा 2024

– निफ्टी ने 13.23% का एनुअल रिटर्न दिया, 2023 में यह 19.42% था
– सितंबर में सेंसेक्स ने पहली बार 85 हजार के आंकड़े को पार किया
– दिसंबर तक 298 नए IPO आए और 1.4 ट्रिलियन रुपये जुटाए गए
– अक्टूबर में चीन के विशेष आर्थिक पैकेज के कारण भारतीय बाजार गिरा
– विदेशी निवेशकों ने भारत से लगभग 85 हजार करोड़ रुपये निकाले

2025 की तस्वीर

– रेटिंग एजेंसियों के अनुसार मार्केट से 8-12% का रिटर्न मिल सकता है
– SIP में बनेगा ज्यादा मौका, एक्टिव फंड्स से अधिक की आशा
– IT, फार्मा, एनर्जी और प्राइवेट बैंक बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं
– स्मॉल व मिडकैप्स के मुकाबले लार्ज कैप्स के अच्छा करने की उम्मीद
– विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की देश में वापसी हो सकती है

(लेखक सक्षम वेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर हैं)

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