सरकार हर कीमत पर फिस्कल डेफिसिट 4.5 फीसदी पर लाना चाहती है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को यूनियन बजट में इसका ऐलान कर सकती है। पिछले कुछ सालों में सरकार ने फिस्कल डेफिसिट में कमी लाने पर फोकस बढ़ाया है। सरकार की कोशिश के अच्छे नतीजे दिखे हैं। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने एक डॉक्युमेंट पेश किया है। इससे सरकार के प्लान के बारे में पता चलता है।
सोशल सिक्योरिटी नेट को मजबूत करने का प्लान
फाइनेंस मिनिस्ट्री के डॉक्युमेंट में कहा गया है कि सरकार का फोकस पब्लिक स्पेंडिंग की क्वालिटी पर होगा। साथ ही सरकार गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए सोशल सिक्योरिटी नेट को मजबूत बनाना चाहती है। इससे इकोनॉमी की बुनियाद मजबूत करने में मदद मिलेगी साथ ही फाइनेंशियल स्टैबिलिटी भी सुनिश्चित होगी। सरकार ने यह डॉक्युमेंट पिछले हफ्ते लोकसभा में पेश किया। इस स्टेटमेंट में यह भी कहा गया है कि बजट 2024 ऐसे वक्त पेश किया गया, जब ग्लोबल इकोनॉमी में अनिश्चितता की स्थिति थी। यूरोप और मिडिल ईस्ट में लड़ाई के हालात थे।
इकोनॉमी की अच्छी सेहत से सरकार को मिल रही मदद
इंडियन इकोनॉमी की बुनियाद मजबूत है, जिससे इस पर ग्लोबल इकोनॉमी की अनिश्चितताओं का ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। इंडियन इकोनॉमी की मजबूती की वजह से सरकार को फिस्कल कंसॉलिडेशन पर भी फोकस बनाए रखने में मदद मिली है। सरकार ने FY25 में फिस्कल डेफिसिट जीडीपी के 4.9 फीसदी तक बनाए रखने का टारगेट रखा है। यह करीब 16.13 लाख करोड़ रुपये है।
पहली छमाही में फिस्कल डेफिसिट टारगेट का सिर्फ 29.4% फीसदी
इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में फिस्कल डेफिसिट 4.75 लाख करोड़ रुपये था, जो बजट में तय टारगेट का 29.4 फीसदी है। सरकार ने फिस्कल डेफिसिट का 11.13 लाख करोड़ रुपये का हिस्सा सरकारी बॉन्ड्स, ट्रेजरी बिल जैसी सिक्योरिटीज के जरिए पूरा करने का प्लान बनाया था। बाकी 5 लाख करोड़ रुपये के लिए उसने NSSF, स्टेट प्रोविडेंट फंड, एक्सटर्नल डेट आदि का इस्तेमाल करने के बारे में सोचा है।
फिस्कल डेफिसिट घटने से सरकार को कम कर्ज लेना पड़ेगा
इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि अगर सरकार फिस्कल डेफिसिट को 4.5 फीसदी तक लाने में सफल रहती है तो उसे मार्केट से कम कर्ज लेना पड़ेगा। इससे सरकार का इंटरेस्ट पर होने वाला खर्च घटेगा। सरकार के हाथ में ज्यादा पैसे बचेंगे, जिसका इस्तेमाल वह सोशल सिक्योरिटी पर कर सकेगी। सरकार ने पिछले कुछ सालों में पूंजीगत खर्च पर फोकस बढ़ाया है, जिसके अच्छे नतीजे दिखे हैं।