2024 में ताइवान का स्टॉक मार्केट TAIEX, एशिया-प्रशांत बाजारों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला रहा। 24 दिसंबर तक यह 30.3 प्रतिशत बढ़ चुका था। विश्लेषकों का कहना है कि इसका मुख्य कारण ताइवान की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री है जो ग्लोबल सप्लाई चेन में अहम भूमिका निभाती है।
इसके मुकाबले, जापान का निक्केई 17.4 प्रतिशत बढ़ा, हांगकांग का हैंग सेंग 18.6 प्रतिशत ऊपर गया और चीन का CSI300 16.2 प्रतिशत बढ़ा। वहीं, ऑस्ट्रेलिया का ASX200 और भारत का निफ्टी50 भी बढ़े लेकिन उनकी वृद्धि 7.6 प्रतिशत और 9.2 प्रतिशत तक सीमित रही। दक्षिण कोरिया का कोस्पी 8.8 प्रतिशत गिरा।
ताइवान में इतनी तेजी क्यों आई?
ताइवान की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री ने वैश्विक मांग बढ़ने का फायदा उठाया। गौर करने वाली बात है कि बीते एक साल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और 5G तकनीक की मांग जमकर रही और इन चीजों को ताइवान की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री ने जमकर भुनाया।
इंवेस्ट PMS के पार्टनर, अनुरुद्ध गर्ग के मुताबिक, ताइवान के चिप निर्माताों इस वृद्धि से खूब फायदा हुआ। उन्होंने कहा, “भूराजनीतिक तनाव और चीन से सप्लाई पर निर्भरता कम करने के कारण अमेरिका और यूरोप से मांग बढ़ी।”
ताइवान की प्रमुख सेमीकंडक्टर कंपनियां जैसे TSMC ने इस बदलाव का फायदा उठाया और इन कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ गईं। इसके अलावा, ताइवान सरकार ने तकनीकी इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां बनाई, जिससे निवेशकों का विश्वास और मजबूत हुआ।
2025 में वैश्विक बाजारों की स्थिति क्या होगी?
विश्लेषकों का मानना है कि 2025 में वैश्विक बाजारों को भूराजनीतिक समस्याओं और आर्थिक अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ेगा। अमेरिका में डॉनल्ड ट्रम्प का फिर से राष्ट्रपति बनना और चीन की आर्थिक दिशा पर असर पड़ सकता है।
एशिया में वैश्विक वित्तीय परिस्थितियां सख्त हो सकती हैं, खासकर अमेरिका के ऊंचे ब्याज दरों और मजबूत डॉलर के कारण। चीन, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया ब्याज दरें घटा सकते हैं, जबकि जापान और मलेशिया कड़ी नीतियां अपना सकते हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि एशिया-प्रशांत बाजारों में ग्रोथ के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश, व्यापार साझेदारियां (जैसे RCEP) और बढ़ती घरेलू खपत के कारण अवसर हो सकते हैं। ताइवान और दक्षिण कोरिया को AI और ग्रीन एनर्जी में एडवांसमेंट से लाभ मिलने की संभावना है।
भारत के बाजारों ने क्यों कमजोर प्रदर्शन किया और 2025 में क्या उम्मीदें हैं?
स्वतंत्र विश्लेषक अम्ब्रिश बलिगा के अनुसार, भारत के बाजारों ने हाल ही में कमजोर प्रदर्शन किया। इसका कारण संशोधित GDP आंकड़े, बढ़ती महंगाई और धीमी ग्रोथ है। Q1 में मंदी के संकेत थे और Q2 में आर्थिक विकास धीमा पड़ा।
2025 में, बलिगा का कहना है कि बाजारों का रुख धीमा रह सकता है, क्योंकि भूराजनीतिक अनिश्चितताएं और कमजोर आय के कारण बाजारों पर दबाव रहेगा। वह 2025 में बाजारों में 10 प्रतिशत की मामूली वृद्धि की उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा, केमिकल, इंफ्रास्ट्रक्चर, फार्मास्यूटिकल्स और FMCG सेक्टर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।