मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में निवेशकों ने जमकर रिटर्न कमाया। साथ ही, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की स्थापना 1992 में हुई, जब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे। मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान बीएसई सेंसेक्स 4,961 से 24,693 पर पहुंच गया यानी इसमें 400 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई। आंकड़ों के मुताबिक, मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहने के दौरान सेंसेक्स औसतन 8 में से 10 बार बढ़त के साथ बंद हुआ।
साल 2009 के दौरान बीएसई सेंसेक्स का रिटर्न 81 पर्सेंट रहा था, जबकि 2006 और 2007 में यह रिटर्न 47 पर्सेंट था। मनमोहन सिंह 2004 में प्रधानमंत्री बने थे और इस साल सेंसेक्स का रिटर्न 33 पर्सेंट था। 2005 में बेंचमार्क इंडेक्स का रिटर्न 42 पर्सेंट था। मनमोहन सिंह के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के एक साल बाद यानी 2010 में सेंसेक्स का रिटर्न 17 पर्सेंट था। इसके बाद 2012 और 2013 में सेंसेक्स का रिटर्न क्रमशः 26 पर्सेंट और 9 पर्सेंट रहा था।
मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में दो साल सेंसेक्स का रिटर्न नेगेटिव रहा। पहली बार 2008 में सेंसेक्स ने नेगेटिव रिटर्न दिया था, जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से जूझ रही थी। इसके बाद फिर 2011 में सेंसेक्स ने नेगेटिव रिटर्न दिया था। मनमोहन सिंह भारत के 13वें प्रधानमंत्री थे। सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने के मामले में वह चौथे स्थान पर रहा। जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी का कार्यकाल मनमोहन सिंह से ज्यादा रहा है।
प्रधानमंत्री बनने से पहले वह 1991 से 96 तक केंद्रीय वित्त मंत्री रहे थे। इसके लिए वह मुख्य आर्थिक सलाहकार, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर और केंद्रीय वित्त सचिव आदि पदों पर रह चुके थे। मनमोहन सिंह को भारत के आर्थिक सुधारों का निर्माता भी कहा जाता था और विदेशी नीति तय करने में भी उनकी अहम भूमिका रही थी।