ईईपीसी इंडिया के प्रतिनिधियों ने 26 दिसंबर को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। प्रतिनिधियों ने वित्तमंत्री को यूनियन बजट 2025 से अपनी उम्मीदों के बारे में बताया। ईईपीसी इंडिया इंजीनियरिंग गुड्स एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है। ईपीपीसी इंडिया ने एमएसएमई की ऐसी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए 25 फीसदी इनकम टैक्स स्लैब लागू करने की मांग की, जो पार्टनरशिप, एलएलपी या सोल प्रॉपरायटरशिप फर्म हैं।
25 फीसदी स्लैब के लिए यह शर्त होनी चाहिए
EEPC ने कहा कि इस इनकम टैक्स स्लैब का फायदा उठाने के लिए यह शर्त होनी चाहिए कि एमएसएमई को इससे होने वाली 10 फीसदी बचत का दोबारा निवेश अपने बिजनेस में करना होगा। ईईपीसी इंडिया ने कहा, “इससे MSME को बिजनेस के विस्तार या वर्किंग कैपिटल के लिए 10 फीसदी अतिरिक्त पैसा उपलब्ध होगा। इससे उनके लिए लिक्विडिटी बढ़ जाएगी। इससे रोजगार के मौके बढ़ाने में भी मदद मिलेगी, क्योंकि एमएसएमई इस पैसे का इस्तेमाल बिजनेस के विस्तार के लिए करेंगी।”
मार्केट इनसेंटिव एनिशिएटिव स्कीम के लिए ऐलोकेशन बढ़ाने की मांग
वित्तमंत्री यूनियन बजट 2025 से पहले इंडस्ट्री से जुड़े अलग संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात कर रही हैं। 26 दिसंबर को उन्होंने दिल्ली में एक्सपोर्ट, ट्रेड और कुछ सेक्टर के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को यूनियन बजट पेश करेंगी। ईईपीसी ने वित्त मंत्री से मार्केट इनसेंटिव एनिशिएटिव (MAI) स्कीम के तहत एलोकेशन बढ़ाने की गुजारिश की। उसका मानना है कि इंटरनेशनल ट्रेड इवेस्ट्स में हिस्सा लेने वाले एमएसएमई की मदद के लिए एमएआई स्कीम के लिए ऐलोकेशन बढ़ाकर 1,200 करोड़ रुपये किया जा सकता है।
सोलर पावर के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के उपाय
ईईपीसी इंडिया चेयरमैन पंकज चड्ढा ने कहा, “देश के दूरदराज के जिलों और ग्रामीण इलाकों में संभावित निर्यातकों को ध्यान में रख कैपिसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम के तहत खास फंड के ऐलोकेशन से उन्हें इंटरनेशनल मार्केट में एंट्री का मौका मिलेगा।” ईईपीसी इंडिया का यह भी मानना है कि सरकार रिन्यूएबल एनर्जी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सोलर पावर में एमएसएमई के निवेश पर 100 फीसदी डेप्रिसिएशन की इजाजत देने वाली पॉलिसी पेश कर सकती है। इससे पहले सरकार ने विंड पावर जेनरेशन के मामले में ऐसी पॉलिसी पेश की थी।