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जानें, कैसे 537 लाख करोड़ रुपये से आधा रह गया डेरिवेटिव कारोबार

उद्योग के प्रतिभागी और गिरावट की संभावना से इनकार नहीं कर रहे क्योंकि साप्ताहिक डेरिवेटिव के लिए बड़ा कॉन्ट्रैक्ट साइज 1 जनवरी से लागू होने जा रहा है। तीन अन्य फैसले भी अगले साल विभिन्न अवधियों में प्रभावी होंगे। निफ्टी-50 के साप्ताहिक अनुबंधों के लिए संशोधित कॉन्ट्रैक्ट लॉट साइज के साथ पहली साप्ताहिक एक्सपायरी 2 जनवरी को होगी। सेबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल में कहा था कि ताजा बदलावों के बाद डेरिवेटिव के अनुमानित वॉल्यूम में 35-40 फीसदी की गिरावट आई है जबकि प्रीमियम वॉल्यूम में 8 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि प्रति अनुबंध कीमत 50 फीसदी तक बढ़ गई हैं। अधिकारी ने इस रुझान पर संतोष जताया और संकेत दिया कि इसमें बदलाव की तत्काल कोई योजना नहीं है।

एक्सचेंजों ने निफ्टी बैंक और बैंकेक्स के साप्ताहिक अनुबंध बंद कर दिए हैं जबकि अब एक्सपायरी के दिन शॉर्ट पोजीशन पर 2 फीसदी ईएलएम लागू हो गया है जिससे कि बढ़े हुए उतारचढ़ाव के कारण होने वाले संभावित जोखिम को कम किया जा सके। अधिकारी ने कहा कि डेरिवेटिव नियमन एक सतत प्रक्रिया होगी जिसका मकसद निवेशकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना और संभावित स्थिरता जोखिमों को कम करते हुए इंडेक्स डेरिवेटिव में एक्सपायरी के दौरान आक्रामक सट्टेबाजी पर अंकुश लगाना है।

डेरिवेटिव सेगमेंट का टर्नओवर अब सितंबर के मुकाबले आधा रह गया है। उस समय बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बीच रोज का औसत कारोबार रिकॉर्ड 537 लाख करोड़ रुपये का दर्ज किया गया था। अपने उच्चतम स्तर से बेंचमार्क सूचकांक तीन सप्ताह से भी कम समय में 10 फीसदी तक नीचे आ गए थे। बाजार में तेज गिरावट का असर कारोबार की मात्रा पर भी पड़ा है जिससे कारोबारियों के सतर्क रुख का संकेत मिलता है।

वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज में निदेशक क्रांति बाथिनी ने कहा कि सेबी के नियमों ने मात्रा पर असर डाला है। डेरिवेटिव बाजार में जोखिमों और गुण-दोष के बारे में निवेशकों और कारोबारियों को जागरूक करने के लिए पिछले कुछ महीनों से चल रहे अभियान ने भी नए कारोबारियों को पोजीशन लेते समय सतर्क नजरिया रखने के लिए प्रेरित किया है। एफऐंडओ के मोर्चे पर सेबी के कदम उसके पहले के अध्ययन के बाद आए हैं, जिसमें कहा गया था कि 90 फीसदी से अधिक व्यक्तिगत कारोबारियों को डेरिवेटिव में घाटा हो रहा है। हालांकि उनमें से कुछ ने लगातार वर्षों के घाटे के बाद भी कारोबार जारी रखा था।

बीएसई के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुंदररामन राममूर्ति ने गुरुवार को कहा कि एक्सचेंज के कारोबार और राजस्व दोनों पर इसके असर का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी। उन्होंने सीएनबीसी टीवी18 से बातचीत में कहा कि अर्जित आय प्रीमियम पर आधारित होती है। व्यय का एक हिस्सा अनुमान पर आधारित है जबकि दूसरा अनुबंधों की संख्या पर आधारित है। अगर अनुमान में गिरावट और ट्रेड किए गए अनुबंधों की संख्या में गिरावट की तुलना में प्रीमियम की गुणवत्ता में सुधार होता है तो इससे लाभप्रद स्थिति पैदा होगी। साथ ही प्रीमियम में सुधार से आय बढ़ेगी और अनुबंधों की संख्या घटने से लागत कम हो जाएगी।

प्रीमियम के अग्रिम संग्रह और एक्सपायरी के दिन कैलेंडर स्प्रेड लाभों को हटाने को लेकर सेबी के कदम 1 फरवरी, 2025 से प्रभावी होंगे। पोजीशन की इंट्राडे निगरानी 1 अप्रैल, 2025 से शुरू की जाएगी।

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