सरकार वर्ष 2025 में तेल और गैस के लिए संवर्धित रिकवरी (एनहेंस्ड रिकवरी – ईआर) और उन्नत रिकवरी (इम्प्रूव्ड रिकवरी – आईआर) पर नीति के उन्नत संस्करण को अधिसूचित कर सकती है। अधिकारियों ने बताया कि यह 2018 से जारी मौजूदा नीतियों का स्थान ले सकती है। नई नीति में वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य परियोजनाओं के लिए बेहतर वित्तीय पहल मिलने की उम्मीद है।
इस उन्नत नीति के लिए एक विशेषज्ञ समिति ने अपनी सिफारिशें दी थीं लेकिन इसे पहले स्वीकारा नहीं गया था। एक अन्य अधिकारी ने बताया, ‘इस मामले में अन्य मसलों का भी अध्ययन किया गया था। इस पर अगले साल की शुरुआत में विचार (अधिसूचित) किए जाने की उम्मीद है।’
सरकार ने अक्टूबर 2018 में तेल और गैस के लिए ईआर और आईआर तरीकों को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत ढांचा जारी किया था और इसके ऑपरेटर्स के लिए वित्तीय प्रोत्साहन भी मुहैया कराई गई थीं ताकि वे गैरपारंपरिक हाइड्रोकार्बन (यूएचसी) उत्पादन विधियों के साथ-साथ इसे भी अपनाएं।
इस नीति में पांच साल बाद समीक्षा का प्रावधान किया गया था और यह समय जून 2023 से शुरू हो गया था। इस सिलसिले में तेल और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति ने अपने दायित्व को दो महीने में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था और सिफारिशों के साथ संशोधित ईआर नीति, 2023 का प्रारूप पेश कर दिया था। लेकिन इस सिफारिश को अपनाया नहीं गया था।
सरकार के 2018 के नवीनतम अनुमानों के अनुसार भारत में तेल कुओं से रिकवरी का स्तर 60 फीसदी और प्राकृतिक गैस के कुओं से रिकवरी का स्तर 80 फीसदी है। प्राकृतिक रूप से प्रवाहित ऊर्ध्वाधर कुओं से अधिक तेल उत्पादन के लिए अक्सर उन्नत निष्कर्षण की आवश्यकता होती है।