NSE पर रजिस्टर्ड निवेशकों की संख्या नवंबर 2024 तक 11 करोड़ के करीब पहुंच गई। फरवरी में रजिस्टर्ड निवेशकों की कुल संख्या 9 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई थी। इसके बाद अगस्त 2024 में यह बढ़कर 10 करोड़ पर पहुंच गई थी। NSE के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर तक रिटेल इनवेस्टर्स की संख्या 10.7 करोड़ थी और यह वृद्धि 2025 में भी जारी रह सकती है। आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर-नवंबर में बाजार में गिरावट और आर्थिक मंदी की चिंताओं ने निवेशकों को थोड़ा निराश किया, क्योंकि पिछले दो महीनों में नए निवेशकों के जुड़ने की गति धीमी रही।
NSE से नवंबर में 15.2 लाख निवेशक जुड़े, जो 7 महीने का सबसे निचला स्तर रहा। नवंबर में नए निवेशकों के रजिस्ट्रेशन यह गिरावट भारत के सभी क्षेत्रों में दिखाई दी। रिपोर्ट में कहा गया है, “हालिया नरमी के बावजूद नए इनवेस्टर रजिस्ट्रेशंस की मंथली रन रेट वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 8 महीनों में 19 लाख पर मजबूत बनी रही, जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह 13.4 लाख थी।”
रजिस्ट्रेशंस में इजाफे में सबसे बड़ा हाथ उत्तर भारत का
NSE पर नए निवेशकों के रजिस्ट्रेशंस में सबसे बड़ा हाथ उत्तर भारत का रहा। इस क्षेत्र से रजिस्टर्ड इनवेस्टर बेस 3.9 करोड़ है। वित्त वर्ष 2022 में पश्चिमी भारत वह क्षेत्र था, जिसने NSE पर नए रजिस्ट्रेशंस में सबसे ज्यादा योगदान दिया था। लेकिन उसके बाद से लगातार तीसरे वर्ष उत्तर भारत टॉप पर बना हुआ है।
स्टेटवाइज बात करें तो NSE पर सबसे ज्यादा रजिस्टर्ड इनवेस्टर महाराष्ट्र से हैं। उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है, जिसने अप्रैल में 1 करोड़ रजिस्टर्ड इनवेस्टर का आंकड़ा पार कर लिया और नवंबर 2024 में संख्या 1.2 करोड़ पर पहुंच गई।
रजिस्टर्ड इनवेस्टर्स की औसत आयु
एज वाइज बात करें तो NSE पर रजिस्टर्ड इनवेस्टर्स की औसत आयु मार्च 2024 में 36.8 वर्ष थी। नवंबर में यह घटकर 35.8 वर्ष पर आ गई। नवंबर के आंकड़ों से पता चलता है कि 30 वर्ष से कम आयु के निवेशकों की हिस्सेदारी 39.9% पर स्थिर रही है। महिला निवेशकों में बढ़ोतरी जारी है। नवंबर 2024 तक NSE पर रजिस्टर्ड इनवेस्टर्स में महिलाओं की भागीदारी 24% थी। वित्त वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 22% से अधिक था।
NSE की दिसंबर बाजार रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर में कैश के साथ-साथ फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) सेगमेंट में टर्नओवर में गिरावट आई। ऐसा आंशिक रूप से वैश्विक अनिश्चितताओं, FPI की ओर से बिक्री और आय में धीमी वृद्धि के कारण हुआ। F&O सेगमेंट में कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी की ओर से सेगमेंट में अत्यधिक सट्टेबाजी पर लगाम लगाने के लिए किए गए रेगुलेटरी उपायों के बाद टर्नओवर में कमी आई।