इस साल जुलाई में पेश यूनियन बजट में सरकार ने गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी काफी घटा दी थी। इसका असर दिखा है। नवंबर में गोल्ड का इंपोर्ट बढ़कर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। अप्रैल से नवंबर के दौरान भी गोल्ड के इंपोर्ट में उछाल दिखा है। इससे सरकार की चिंता बढ़ी है। गोल्ड के इंपोर्ट में उछाल का सीधा असर ट्रेड डेफिसिट पर पड़ता है। इसके अलावा गोल्ड के इंपोर्ट पर सरकार को ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। सरकार सिर्फ जरूरी चीजों के इंपोर्ट पर गोल्ड खर्च करना चाहती है।
नवंबर में गोल्ड इंपोर्ट 173 टन पहुंच गया
कॉमर्स मिनिस्ट्री के मुताबिक, नवंबर में गोल्ड इंपोर्ट (Gold Import) 173 टन पर पहुंच गया। यह एक महीने में गोल्ड का सबसे ज्यादा इंपोर्ट है। इस साल अप्रैल और नवंबर के बीच गोल्ड का इंपोर्ट साल दर साल आधार पर 49 फीसदी बढ़ा है। यह 800 टन से ऊपर पहुंच गया है। पिछले दो साल में गोल्ड का औसत इंपोर्ट करीब 700 टन रहा है। गोल्ड का ज्यादा इंपोर्ट सरकार के फिस्कल डेफिसिट पर दबाव बढ़ा सकता है। साथ ही इसका असर रुपये के एक्सचेंज रेट पर भी पड़ेगा। रुपया अगर डॉलर के मुकाबले ज्यादा कमजोर होता है तो इससे उन चीजों के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी, जिनका इंपोर्ट इंडिया करता है।
जुलाई में गोल्ड पर इंपोर्ट डयूटी 16% से घटकर 6 फीसदी पर आ गई थी
एक्सपर्ट्स का कहना है कि गोल्ड का इंपोर्ट बढ़ने की असल वजह गोल्ड इंपोर्ट ड्यूटी में कमी है। इसके बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या सरकार फिर से गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाएगी। क्या सरकार यूनियन बजट में गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाएगी? क्या वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाएगी? वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई, 2024 को गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दी थी। सरकार के इस कदम से गोल्ड की स्मगलिंग में कमी आई है। पहले हर साल 150-200 टन गोल्ड की स्मगलिंग होती थी। अब इसमें काफी कमी आई है।
सरकार जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेगी
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार दिसंबर के गोल्ड इंपोर्ट के डेटा का इंतजार करना चाहेगी। उसके बाद ही गोल्ड के इंपोर्ट ड्यूटी के बारे में सरकार कोई फैसला लेगी। अभी इस बारे में सरकार के पास फैसला लेने के लिए काफी वक्त है।