SME IPO : सेबी ने SME IPO से जुड़े नियम सख्त कर दिए हैं। अब SME IPO के लिए मुनाफे की शर्त जोड़ी गई है। नई शर्त के मुताबिक आईपीओ लाने वाली कंपनी के लिए पिछले तीन में से 2 वित्त वर्ष में कम से कम 1 करोड़ रुपए का ऑपरेटिंग मुनाफा जरूरी होगा। इश्यू में ऑफर फॉर सेल का हिस्सा 20 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। इसके साथ ही शेयरहोल्डर IPO में 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा नहीं बेच पाएंगे। प्रोमोटर MPC (Minimum Promoter Contribution) से ज्यादा हिस्सा IPO के एक साल बाद ही बेच पाएंगे।
IPO की रकम से प्रोमोटर या प्रोमोटर ग्रुप का लोन नहीं चुकाया जा सकता
सेबी ने यह भी कहा है कि न्यूनतम प्रमोटर योगदान (Minimum Promoter Contribution) से अधिक प्रमोटर की होल्डिंग को केवल चरणबद्ध तरीके से बेचा जा सकेगा। सेबी ने अनुमति दी है कि MPC से अधिक प्रमोटर की होल्डिंग का 50% लिस्टिंग के एक साल बाद जारी किया जा सकता है और बाकी 50 फीसदी दो साल बाद बेचा जा सकता है। सेबी ने यह भी कहा है कि एसएमई प्रमोटर, प्रमोटर समूह या कोई संबंधित पार्टी सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से लोन चुकाने के लिए आईपीओ के जरिए बाजार से पूंजी नहीं जुटा सकते। इसके अलावा, IPO का प्रॉस्पेक्टस स्टॉक एक्सचेंजों के साथ दाखिल होने के बाद 21 दिनों तक जनता के लिए टिप्पणियों के लिए उपलब्ध रहेगा।
सेबी के नए नियमों के मुताबिक जनरल कॉरपोरेट परपज में इश्यू से मिले पैसे का 15 फीसदी से ज्यादा का इस्तेमाल नहीं होगा। NIIs कैटेगरी में आवंटन लॉटरी के जरिये ही होगा। रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के नियम सभी लिस्टेड SMEs पर लागू होंगे।
AI के इस्तेमाल पर SEBI
सेबी ने नियमों में AI टूल्स के इस्तेमाल की जिम्मेदारी तय की है। इसके लिए ब्रोकर, AMC या इनवेस्टमेंट एडवाइजर ही जिम्मेदार होंगे। उन पर प्राइवेसी, सिक्योरिटी या डेटा इंटीग्रिटी को बनाए रखने की जिम्मेदारी होगी। AI टूल्स के नतीजों की जिम्मेदारी इस्तेमाल करने वालों की होगी। थर्ड पार्टी से AI टूल्स लेने पर भी जिम्मेदारी इस्तेमाल करने वालों की होगी।
