फेडरल रिजर्व ने 18 दिसंबर को मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान कर दिया। उसने इंटरेस्ट रेट 25 बेसिस प्वाइंट्स घटा दिया। इसकी उम्मीद पहले से की जा रही थी। फिर, आखिर कौन सी बात है जिसने अमेरिका सहित दुनियाभर के मार्केट्स का मूड खराब दिया? 18 दिसंबर को अमेरिकी मार्केट्स के प्रमुख सूचकांक 4 फीसदी तक गिर गए। 19 दिसंबर को सेंसेक्स-निफ्टी सहित एशियाई बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिली। इंडियन मार्केट्स के लिए यह बड़ा झटका है, क्योंकि बाजार पर पहले से दबाव दिख रहा था।
अब 2025 में इंटरेस्ट रेट में सिर्फ दो बार कटौती
Federal Reserve ने इंटरेस्ट रेट 25 बेसिस प्वाइंट्स घटा दिया है। इससे पॉलिसी रेट अब 4.25 फीसदी पर आ गई है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने इकोनॉमिक ग्रोथ और इनफ्लेशन बढ़ने का अनुमान जताया। बेरोजगारी दर पर भी दबाव घटने की उम्मीद जताई। इसका मतलब है कि अब 2025 को लेकर फेडरल रिजर्व की स्ट्रेटेजी बदल गई है। अगले साल अमेरिकी केंद्रीय बैंक इंटरेस्ट रेट में सिर्फ दो बार कमी करेगा। पहले यह माना जा रहा था कि 2025 में भी अमेरिका में इंटरेस्ट रेट में कमी का सिलसिला जारी रहेगा और फेड इंटरेस्ट रेट चार बार घटाएगा। अब यह साफ हो गया है कि अगले साल 25-25 बेसिस प्वाइंट्स की सिर्फ दो बार कमी होगी।
डॉलर इंडेक्स और बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड में उछाल
फेड ने इंटरेस्ट रेट में कमी का जो अनुमान जताया है, उसका व्यापक असर देखने को मिला। Dollar Index उछल कर 108 पर पहुंच गया। 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड बढ़कर 4.5 फीसदी पर पहुंच गई। अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स में 18 दिसंबर को फेड की पॉलिसी आने के बाद बड़ी गिरावट देखने को मिली। S&P 500 इंडेक्स 3 फीसदी क्रैश कर गया। नैस्डेक सहित दूसरे सूचकांकों में भी बड़ी गिरावट आई।
अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स में बढ़ेगा निवेश
फेडरल रिजर्व की 18 दिसंबर की कमेंट्री के कई मायने हैं। यह न सिर्फ अमेरिकी इकोनॉमी के लिए अहम है बल्कि इसका असर ग्लोबल इकोनॉमी पर पड़ेगा। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है। फेड की कमेंट्री से पता चलता है कि अमेरिकी इकोनॉमी की सेहत अच्छी है। जॉब मार्केट पर भी दबाव कम हो रहा है। अमेरिकी में पिछली दो तिमाहियों में जीडीपी की ग्रोथ करीब 2.8 फीसदी रही है। यह अनुमान से ज्यादा है। इससे पिछले कुछ महीनों में इनफ्लेशन में इजाफा देखने को मिला है। ऐसा लगता है कि अगले महीने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी सरकार की आर्थिक नीतियों में बदलाव आएगा। खासकर ट्रंप टैरिफ बढ़ाने और कंपनियों पर टैक्स घटाने की बात लगातार करते रहे है। इससे इनफ्लेशन बढ़ेगा।
नई सरकार की आर्थिक पॉलिसी में बदलाव
फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा है कि जॉब मार्केट पर अब उतना दबाव नहीं है, जितना 2019 में था। इधर, ट्रंप की राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद अमेरिकी फानेंशियल मार्केट्स में दुनियाभर की दिलचस्पी बढ़ी है। ट्रंप के कंपनियों पर टैक्स घटाने, औद्योगिकरण को बढ़ावा देने और इंपोर्ट पर टैरिफ में इजाफा करने की उम्मीद है। इन उपायों का अमेरिकी कंपनियों के बिजनेस पर अच्छा असर पड़ेगा। टैक्स घटने से कंपनियों की कमाई बढ़ेगी। यही वजह है कि 5 नवंबर के बाद से S&P 500 ने दूसरे बाजारों के मुकाबले ज्यादा रिटर्न दिया है।
इंडिया सहित उभरते मार्केट्स पर दबाव जारी रह सकता है
इसका असर दूसरी जगह भी दिखा है। पिछले 12 हफ्तों में पैसा अमेरिकी बाजारों में जा रहा है। अमेरिका की बड़ी कंपनियों में 185 अरब डॉलर का निवेश हुआ है। यूरोप और जापान से भी पैसा निकला है। इंडियन मार्केट में अक्टूबर और नवंबर में 14 अरब डॉलर की बिकवाली हुई है। हालांकि, दिसंबर में अब तक 2.7 अरब डॉलर का निवेश हुआ है। अमेरिकी मार्केट्स में निवेश जारी रहेगा। इसकी वजह यह है कि इंडिया सहित दुनिया के कई मार्केट्स में वैल्यूएशन ज्यादा है।