Share Market Falls: कहते हैं कि फेडरल रिजर्व अगर छींकता भी है तो पूरी दुनिया के शेयर बाजारों को जुखाम हो जाता है। कुछ ऐसा ही इस समय भारतीय शेयर बाजार में देखने को मिल रहा है। लगातार तीन दिनों से मार्केट में गिरावट जारी है। निफ्टी सोमवार से अब तक करीब 600 पॉइंट्स टूट चुका है। सवाल यह है कि आखिर US फेडरल रिजर्व के फैसले से पहले ऐसा क्यों हो रहा है? क्या यह गिरावट आगे भी जारी रहेगी या बाजार क्रिसमस से पहले वापसी करेगा? साथ ही, अगले महीने RBI की MPC मीटिंग तक बाजार की चाल कैसी रह सकती है?
सबसे पहले समझते हैं कि बाजार में गिरावट क्यों आ रही है? मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि निफ्टी में आई इस गिरावट का मुख्य कारण है मुनाफावसूली। पिछले महीने 21 नवंबर के बाद से निफ्टी में 6% की शानदार तेजी देखने को मिली थी। लेकिन, US फेडरल रिजर्व की पॉलिसी के ऐलान से पहले निवेशक अब सतर्क हो गए हैं और मुनाफा बुक कर रहे हैं।
द स्ट्रीट के फंड मैनेजर, कुणाल रंभिया का कहना है कि शेयर बाजार में बड़े ऐलानों से पहले इस तरह की गिरावट आना आम बात है। वहीं वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के डायरेक्टर, क्रांति बैथिनी ने कहा कि निवेशक फिलहाल दोराहे पर खड़े हैं और बाजार की अगली दिशा का इंतजार कर रहे हैं।
क्रांति बैथिनी ने कहा कि निफ्टी के लिए फिलहाल 24,000 का जोन एक काफी इंपॉर्टेंट स्तर है, जिस पर नजर रखना जरूरी है। जब तक यह स्तर सुरक्षित रहता है, तब तक इसमें तेजी आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि शॉर्ट टर्म में निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और सख्त स्टॉप लॉस के साथ ट्रेड करना चाहिए।
अब बात करते हैं US फेडरल रिजर्व की, जो आज देर रात अपने ब्याज दरों को लेकर फैसला सुनाएगा। बाजार को उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है। लेकिन अगर फेड ऐसा नहीं करता है, तो भारतीय शेयर बाजार में काफी बड़ी हलचल देखने को मिल सकती है।
कुणाल रंभिया का कहना है कि अगर फेडरल रिजर्व 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करता है, तो बाजार में कोई ज्यादा हलचल नहीं देखने को मिलेगी क्योंकि मार्केट इसका पहले से ही अनुमान लगा चुका है। लेकिन अगर वह ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करता है, तो निफ्टी में 3 से 4% और गिरावट देखने को मिल सकती है।
बैथिनी ने कहा कि सबसे अहम फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल का बयान होगा। बाजार यह जानना चाहेगा कि 2025 में ब्याज दरों में कटौती को लेकर उनका क्या रुख होगा। अगर उन्होंने कटौती रोकने या उसकी रफ्तार धीमी करने का संकेत दिया तो यह मार्केट में गिरावट को और तेज कर देगा। वहीं अगर उन्होंने उदार रुख अपनाया और अच्छे संकेत दिए तो फिर हमें बाजार में एक क्रिसमस रैली देखने को मिल सकती हैं। हालांकि बैथिनी ने यह भी कहा कि मीडियम से लॉन्ग-टर्म में फेडरल रिजर्व के फैसले का बाजार पर कोई इम्पैक्ट नहीं पड़ेगा।
फेडरल रिजर्व की बैठक के बाद बाजार का अगला फोकस 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट और 5-7 फरवरी को होने वाली RBI की MPC मीटिंग पर होगी। यह मीटिंग खास इसलिए होगी क्योंकि यह RBI के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा की पहली पॉलिसी मीटिंग होगी।
Rambhia का कहना है कि अगर US फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इससे RBI पर ब्याज दरें स्थिर रखने का दबाव कम होगा और वह फरवरी में इसमें कटौती का संकेत दे सकता है। हालांकि यह कटौती की तुलना में धीमी होगा और इसका असर शेयर मार्केट के परफॉर्मेंस पर भी दिख सकता है।
अब सवाल यह है कि मौजूदा बाजार परिस्थिति में निवेशकों को क्या करना चाहिए? मार्केट एक्सपर्ट्स शॉर्ट-टर्म में निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। हालांकि उन्होंने लॉन्ग टर्म निवेशकों को बाजार में हर गिरावट का फायदा उठाना चाहिए।
कुणाल रंभिया का मानना है कि बाजार का लंबी अवधि का रुझान पॉजिटिव है और निवेशकों को अगले 15-20 दिनों में गिरावट में खरीदारी का मौका मिलेगा। कुणाल रंभिया और क्रांति बैथिनी दोनों ने निवेशकों को बजट से पहले सेक्टर और स्टॉक-स्पेसिफिक रणनीति अपनाने की सलाह दी है।
डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। shock market news की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।