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जोमैटो या स्विगी किसे खरीदने में फायदा? ये फंडा समझ गए तो शेयर लेने में कभी नहीं खाएंगे गच्‍चा

नई दिल्‍ली: स्विगी के IPO के समय उसकी कीमत उसके प्रतिद्वंद्वियों से कम होने का तर्क दिया गया था। इस तुलना के लिए प्राइस-टू-सेल्स रेश्यो का इस्तेमाल किया गया था। इससे सवाल उठता है कि क्या सिर्फ इसलिए शेयर खरीदना चाहिए क्योंकि वह अपने प्रतिद्वंद्वियों से सस्ता है? या फिर इसलिए खरीदना चाहिए क्योंकि उसका बिजनेस बढ़ेगा? रिलेटिव वैल्यूएशन बुल मार्केट में तो काम करता है, लेकिन बियर मार्केट में असली बिजनेस और उससे आने वाला कैश फ्लो ही मायने रखता है। वैल्यूएशन नंबर्स और नैरेटिव दोनों से प्रभावित होते हैं। दोनों को समझना जरूरी है।कुछ महीने पहले बजाज हाउसिंग फाइनेंस का IPO आया था। बजाज ब्रांड और हाउसिंग फाइनेंस सेक्टर की ग्रोथ को देखते हुए यह IPO ओवरसब्सक्राइब्ड रहा। इसकी एक यह भी वजह थी कि यह एक ऐसी प्लेयर है जो रिस्क मैनेजमेंट और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना जानती है। चूंकि यह बुल मार्केट का समय था, शेयर इशू प्राइस से प्रीमियम पर लिस्ट हुआ और आगे भी बढ़ा।

कुछ हफ्ते बाद निफ्टी और सेंसेक्स दोनों दबाव में आए। बाजार की स्थिति खराब हुई। दूसरे शेयरों की तरह बजाज हाउसिंग फाइनेंस भी गिरा। सवाल यह है कि क्या कुछ ही समय में नैरेटिव में बदलाव आ गया? जवाब है नहीं। शेयर अभी भी एक बेहतरीन औद्योगिक घराने का है। बिजनेस अभी भी एक ऐसे सेक्टर में है जो अच्छा कर रहा है। जिसके विकास की लंबी संभावना है। यहां सीख यह है कि अक्सर एक कहानी वैल्यूएशन को ऊपर ले जाती है। इसलिए वैल्यू और वैल्यूएशन, नंबर और नैरेटिव के बीच का अंतर समझना जरूरी है।

यह कैसे तय करें कि X शेयर का प्राइस-अर्निंग मल्टीपल Y शेयर से अलग क्यों होना चाहिए? शेयर मार्केट में पैसा कमाने का मूल सिद्धांत है: पहले सीखो, फिर कमाने की कोशिश करो। लेकिन, यह सुनने में जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। अगर आप किसी कंपनी की असली कीमत पहचानकर मार्केट की कमियों का फायदा उठाना चाहते हैं तो आपको कैंडलस्टिक पैटर्न और सोशल मीडिया के शोर से परे जाकर कंपनी की बैलेंस शीट का विश्लेषण करना होगा। उसकी असली ग्रोथ क्षमता का पता लगाना पड़ेगा। यह काम किसी आम आदमी का नहीं है।

सीखने का बेहतरीन मौका

ETMarkets दो अनुभवी फाइनेंशियल प्रफेशनल्‍स – मैकिन्से के सीए रहे हिमांशु जैन और गोल्डमैन सैक्स के पूर्व सीए मनोज गोयल – को ETMarkets Live पर एक ऑनलाइन वर्कशॉप के लिए ला रहा है। जुड़ने के लिए यहां https://timeslearn.indiatimes.com/value-and-valuation-masterclass-2?ag=nbtarticle क्लिक करें।

चार दिवसीय वैल्यू एंड वैल्यूएशन वर्कशॉप वैल्यू इन्वेस्टिंग के सिद्धांतों और वास्तविक दुनिया में इसके प्रैक्टिकल एप्‍लीकेशन पर एक व्यावहारिक जानकारी प्रदान करता है। यह वर्कशॉप दो वीकेंड में फैली हुई है: 30 नवंबर-1 दिसंबर और 7-8 दिसंबर। इसमें टाटा मोटर्स और जोमैटो जैसी उल्लेखनीय कंपनियों पर केस स्टडी शामिल हैं और वास्तविक दुनिया के प्रयोगों को दर्शाती है।

वर्कशॉप की मुख्य बातें और विषय इस प्रकार हैं:

– इंट्रिंसिक वैल्‍यू कैलकुलेशन (Intrinsic Value Calculation): वर्कशॉप आंतरिक मूल्य यानी इंट्रिंसिक वैल्‍यू की गणना करने के तरीकों पर जोर देता है, जो मूल्य निवेश का एक आधार है। यह कैलकुलेशन किसी स्टॉक के वास्तविक मूल्य को दिखाने के लिए अनुमानित आय, संभावित बढ़ोतरी और मौजूदा बाजार की स्थितियों को ध्यान में रखता है।

– वित्तीय विवरणों का विश्लेषण (Analyzing Financial Statements): वैल्‍यू इन्‍वेस्‍टर्स को कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य को अच्छी तरह से समझने की जरूरत है। निवेशकों को सही निर्णय लेने में मदद करने के लिए आय विवरण, बैलेंस शीट और कैश फ्लो जैसे प्रमुख विवरणों की विस्तार से समीक्षा करनी होती है।

– मूल्यांकन तकनीकें (Valuation Techniques): निवेश के अवसरों के मूल्यांकन के लिए एक व्यापक टूलकिट के साथ लोगों को लैस करने के लिए विभिन्न मूल्यांकन तकनीकों को पेश किया जाता है, जिसमें डिस्‍काउंटेड कैश फ्लो (DCF) और कम्‍पैरेबल कंपनी एनालिसिस शामिल हैं।

– वर्कशॉप के फायदे (Benefits of the Workshop): वर्कशॉप न केवल वैल्‍यू इन्‍वेस्‍टमेंट के तकनीकी पहलुओं में दिलचस्‍पी पैदा करता है, बल्कि इंटरैक्टिव सत्र भी प्रदान करता है। इसमें उपस्थित लोग अपने डाउट्स क्‍लीयर कर सकते हैं। ट्रेनर्स के साथ केस स्टडी पर चर्चा कर सकते हैं। प्रतिभागियों को रिकॉर्ड किए गए सत्रों तक एक वर्ष की पहुंच प्राप्त होती है, जिससे सीखे गए कॉन्‍सेप्‍ट की निरंतर समीक्षा और अनुप्रयोग की अनुमति मिलती है।

– व्यावहारिक अनुप्रयोग (Practical Applications): टाटा मोटर्स, जोमैटो और पेटीएम जैसी कंपनियों के केस स्टडी के माध्यम से प्रतिभागी वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों में वैल्‍यू इन्‍वेस्‍टमेंट रणनीतियों को लागू करना सीखते हैं, जैसे कि विकास क्षमता, जोखिम कारकों और आर्थिक प्रभावों का मूल्यांकन। ये वैल्‍यूएशन को प्रभावित कर सकते हैं।

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