सचिन बंसल की नवी फिनसर्व सिर्फ 45 दिन में आरबीआई के प्रतिबंध से बाहर आ गई है। इस साल अक्टूबर में आरबीआई ने इस एनबीएफसी के लोन देने पर रोक लगा दी थी। इसके 10 दिन के अंदर कंपनी ने लोन पर इंटरेस्ट रेट करीब 10 फीसदी घटा दिया। इसके बाद केंद्रीय बैंक ने नवी फिनसर्व के लोन देने पर लगी रोक हटा ली है। आम तौर पर आरबीआई इतने कम समय में प्रतिबंध नहीं हटाता है।
अक्टूबर में लगी थी रोक
RBI ने 18 अक्टूबर को नवी फिनसर्व पर यह रोक लगाई थी। 21 अक्टूबर से यह रोक लागू हो गई थी। 29 अक्टूबर को नवी फिनसर्व (Navi Finserv) के बोर्ड ने इंटरेस्ट रेट को घटाकर 26 फीसदी करने का फैसला लिया। यह फैसला 8 नवंबर से लागू हो गया। इस मामले से जुड़े एक करीबी सूत्र ने बताया, “कंपनी ने पर्सनल लोन पर इंटरेस्ट रेट घटाकर 26 फीसदी कर दिया, जो 8 नवंबर से लागू हो गया। पहले यह 35 फीसदी था। यह कंपनी की तरफ से आरबीआई को किए गए वाते के मुताबिक था।”
कंंपनी ने लिया बड़ा फैसला
लोन के इंटरेस्ट रेट में जल्द बड़ी कमी करने से नवी फिनसर्व 2 दिसंबर को आरबीआई के प्रतिबंध से बाहर आ गई। प्रतिबंध लगने के 45 दिन के अंदर कंपनी उससे बाहर आ गई। आरबीआई के नवी फिनसर्व के लोन देने पर रोक लगाने की बड़ी वजह काफी ज्यादा इंटरेस्ट रेट था। सूत्रों ने बताया कि पहले के सिस्टम में नवी फिनसर्व लोन पर फ्लैट इंटरेस्ट रेट चार्ज करती थी। इसमें प्रोसेसिंग फीस और दूसरे चार्जेज शामिल थे। इसे एनुअल पर्सेंटेज रेट (APR) कहा जाता है। आरबीआई का मानना है कि यह उस रेट से अलग है, जिसका दावा कंपनियां विज्ञापन में करती हैं।
लोन की कॉस्ट में तेज गिरावट
सूत्र ने बताया, “पुराने सिस्टम में नवी फिनसर्व का इंटरेस्ट रेट 36 से 45 फीसदी के बीच पहुंच गया था।” आरबीआई के प्रतिबंध के बाद कंपनी ने प्राइसिंग के सिस्टम में बदलाव किया। नए सिस्टम में नवी फिनसर्व ने लोन के इंटरेस्ट रेट और प्रोसेसिंग चार्ज को अलग-अलग रखने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि इस वजह से लोन की कॉस्ट में तेज गिरावट आई है। साथ ही लोन के इंटरेस्ट रेट के मामले भी पारदर्शिता आई है।