Adani Group News: दिक्कतों से जूझ रहे गौतम अदाणी ने श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में एक पोर्ट टर्मिनल के लिए अमेरिकी एजेंसी से लोन के लिए जो सौदा किया था, उससे बाहर निकलने का फैसला किया है। इससे श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव को थामने के लिए भारत और अमेरिका की कोशिशों से जुड़ा एक समझौता खत्म हो गया। यह सौदा करीब एक साल पहले हुआ था। अदाणी ग्रुप की कंपनी ने मंगलवार को एक्सचेंज फाइलिंग में इसकी जानकारी दी। यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन से 55.3 करोड़ डॉलर के लोन के लिए बात हुई थी। पिछले महीने अदाणी ग्रुप पर जब घूसखोरी के आरोप लगे थे तो अमेरिकी एजेंसी ने कहा कि अभी ड्यू डिलिजेंस यानी लोन प्रोसेस चल ही रहा है और लोन पर फाइनल एग्रीमेंट नहीं हुआ है। अब अदाणी कंपनी ने इससे बाहर निकलने का ही ऐलान कर दिया है।
Adani Group अब कैसे करेगा प्रोजेक्ट की फंडिंग?
अमेरिकी एजेंसी से हुए लोन डील से बाहर आने के बाद अब अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (SEZ) अंदरूनी तरीके से और कैपिटल मैनेजमेंट प्लान के जरिए कोलंबो प्रोजेक्ट के लिए फंड जुटाएगी। इस डील से बाहर निकलने को लेकर व्हाइट हाउस और डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं श्रीलंका में जो प्रोजेक्ट है, उस पर काम पहले ही शुरू हो चुका है और इसमें श्रीलंका से भी पार्टनर्स हैं। कोलंबो का पोर्ट हिंद महासागर के सबसे व्यस्त पोर्टों में से एक है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों के पास स्थित है।
एशिया में सबसे बड़े इंफ्रा निवेश से अमेरिकी एजेंसी बाहर
डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन एक सरकारी एजेंसी है जिसे विकासशील देशों की मदद करने और अमेरिकी विदेश नीति लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था। कोलंबो में टर्मिनल के लिए लोन डील पिछले साल 2023 में उस समय हुई थी, जब विकासशील देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट के लिए चीन का विकल्प पेश करने को लेकर अमेरिका काफी उत्साहित था। इस टर्मिनल को पहले दिसंबर 2024 तक शुरू करने की योजना थी, और इसके जरिए अमेरिकी एजेंसी का एशिया में सबसे बड़ा इंफ्रा इनवेस्टमेंट कोलंबो में वेस्ट कंटेनर टर्मिनल हो जाता।
नवंबर 2023 में कोलंबो में अमेरिकी एजेंसी के सीईओ स्कॉट नाथन ने कहा था कि अमेरिका के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक्टिव रहना हाई प्रॉयोरिटी है जोकि स्पष्ट रूप से दुनिया के आर्थिक विकास का इंजन है। उस मौके पर गौतम अदाणी के बेटे और अदाणी पोर्ट्स के सीईओ करण अदाणी भी मौजूद थे और उन्होंने कहा था कि यह सौदा उनकी कंपनी के विजन, क्षमता और गवर्नेंस पर इंटरनेशनल कम्यूनिटी की एक और मुहर है।
खास बात ये है कि यह सौदा, उस समय हुआ था, जब अदाणी ग्रुप अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों और कई मीडिया जांच से जूझ रहा था। हालांकि ग्रुप ने सभी आरोपों का बार-बार खंडन किया था। अब एक बार फिर लोन डील ऐसे समय में बंद हो रहा है, जब अदाणी ग्रुप घूसखोरी के आरोपों से जूझ रहा है जिससे अदाणी ग्रुप ने इंकार किया है। पिछले महीने अमेरिकी अदालतों में ग्रुप पर आरोप लगाया गया कि सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए ग्रुप की कंपनियों ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को 25. करोड़ डॉलर से अधिक की रिश्वत दी या देने का वादा किया, और जब वे अमेरिकी निवेशकों से धन जुटाने की कोशिश कर रहे थे, तो इसकी जानकारी नहीं दी गई।