पिछले कुछ सालों में डिजिटल गोल्ड में निवेश करने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। गोल्ड ईटीएफ और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) इसके उदाहरण हैं। डिजिटल गोल्ड में दिलचस्पी बढ़ने के कई कारण हैं। इसकी सुरक्षा को लेकर चिंता नहीं रहती है। गोल्ड की शुद्धता को लेकर भी संदेह नहीं रहता है। एसजीबी में निवेश पर पर इंटरेस्ट भी मिलता है। लेकिन, एसजीबी में सरकार की दिलचस्पी घटती दिख रही है। इस साल फरवरी से आरबीआई ने एसीजीबी की नई किस्त जारी नहीं की है। लेकिन, आप बीएसई और एनएसई पर एसजीबी में निवेश कर सकते हैं।
मैच्योरिटी पीरियड 8 साल
एसजीबी (Sovereign Gold Bond) का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल है। मैच्योरिटी पर एसजीबी पर मिले इंटरेस्ट अमाउंट पर टैक्स लगता है। लेकिन, कैपिटल गेंस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। सरकार हर साल एसजीबी में निवेश पर 2.5 फीसदी इंटरेस्ट देती है। इससे एसजीबी में निवेश का आकर्षण बढ़ जाता है। RBI की तरफ से पहले जारी की गई एसजीबी की किस्तों में BSE और NSE में ट्रेडिंग होती है।
2015 में आई थी पहली किस्त
RBI ने एसजीबी की पहली किस्त 30 नवंबर, 2015 को जारी की थी। तब से इसकी 67 किस्तें जारी हो चुकी हैं। इसके तहत कुल 14.7 करोड़ यूनिट्स जारी की गई हैं। बीएसई और एनएसई के कैश सेगमेंट में एसजीबी लिस्टेड हैं। रिटेल इनवेस्टर्स डीमैट अकाउंट के जरिए एसजीबी को खरीद और बेच सकते हैं।
निवेश में इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप स्टॉक्स एक्सचेंज में एसजीबी खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको दो चीजों का ध्यान रखना होगा। एसजीबी की कई किस्तों में लिक्विडिटी काफी कम है। बॉन्ड की अच्छी कीमत तभी मिलती है, जब उसमें पर्याप्त लिक्विडिटी होती है। एसजीबी की किस्तों में बीएसई और एनएसई पर रोजाना का औसत ट्रेडेड वॉल्यूम सिर्फ 13.4 करोड़ था। रेफरेंस रेट के मुकाबले एसजीबी बॉन्ड का ट्रेडेड प्राइस। ibjarates.com पर प्रकाशित 999 प्योरिटी गोल्ड का प्राइस एजीबी के लिए रेफरेंस रेट होता है।
प्रीमियम पर ट्रेडिंग
एसजीबी की ज्यादातर किस्त में उसके रेफरेंस रेट के मुकाबले प्रीमियम पर ट्रेडिंग होती है। इसलिए एसजीबी की उन किस्तों में निवेश करना ठीक रहेगा, जिनका ट्रेडिंग प्राइस गोल्ड के रेफरेंस रेट से कम या उसके करीब है। इससे निवेशक को ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना रहेगी। ज्यादा ट्रेडिंग प्राइस पर निवेश करने पर निवेशक का रिटर्न कम रह सकता है।