सोमवार को निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक दो फीसदी से ज्यादा गिर गया। यह गिरावट गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (जीसीपीएल) के कारण हुई जो 10.8 फीसदी तक गिरा और अब तक के रिकॉर्ड 1,101.65 रुपये पर पहुंच गया। हालांकि, बाद में कंपनी के शेयर में थोड़ा सुधार आया और यह 8.82 फीसदी गिरकर 1,126.50 रुपये पर
बंद हुआ।
कंपनी के शेयर पर बिकवाली का दबाव तब आया जब साबुन से लेकर घरेलू कीटनाशक बनाने वाली कंपनी ने कहा कि उसे चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही (तीसरी तिमाही) में मात्रात्मक वृद्धि सपाट और बिक्री वृद्धि एक अंक में रहने की उम्मीद है। इसका असर अन्य रोजमर्रा सामान वाली कंपनियों के शेयर पर भी पड़ा।
कारोबार खत्म होने तक निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक 2.2 फीसदी गिरकर 56,460.60 अंक पर आ गया। इसके मुकाबले निफ्टी 50 सिर्फ 0.24 फीसदी गिरकर 24,619 पर रहा। एफएमसीजी सूचकांक के 14 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई जबकि 1 शेयर चढ़कर बंद हुआ। अन्य कंपनियों में टाटा कंज्यूमर का शेयर 4.13 फीसदी, डाबर, मैरिको, एचयूएल के शेयर में तीन फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। कोलगेट पामोलिव के शेयर में 2.87 फीसदी की कमी आई।
शेयर बाजार को दी गई जानकारी के मुताबिक गोदरेज कंज्यूमर का मानना है कि साबुन की कीमतें बढ़ने, बेमौसम बारिश और उसकी घरेलू कीटनाशक श्रेणी की बिक्री में नरमी के कारण दिसंबर तिमाही में घरेलू बाजार में मात्रात्मक वृद्धि सपाट और एक अंक में रह सकती है।
दोनों श्रेणी संयुक्त रूप से गोदरेज कंज्यूमर के राजस्व में दो तिहाई का योगदान देती हैं, जो मुख्य रूप से घरेलू बाजार से परिचालन से होने वाली आय है। मगर कंपनी के बाकी पोर्टफोलियो का प्रदर्शन दमदार है और उम्मीद है कि मात्रात्मक वृद्धि दो अंको में होगी। गोदरेज कंज्यूमर ने यह जानकारी शेयर बाजार को कारोबारी स्थिति और तिमाही प्रदर्शन के अपडेट के रूप में दी है। उसने कहा है, ‘पिछले कुछ महीनों से भारत में मांग में नरमी आई है, जो एफएमसीजी बाजार की वृद्धि की स्थिति से पता चलती है।’
पाम ऑयल और डेरिवेटिव की कीमतों में एक साल पहले के मुकाबले 20 से 30 फीसदी की वृद्धि ने साबुन श्रेणी को प्रभावित किया है जो गोदरेज कंज्यूमर के कारोबारी राजस्व का एक तिहाई हिस्सा है।
गोदरेज इंडस्ट्रीज समूह की एफएमसीजी इकाई ने कहा, ‘लागत में आंशिक भरपाई के लिए हमने कीमतें बढ़ाई हैं, वजन घटाया है और विभिन्न व्यापार योजनाओं को भी कम किया है।’ कंपनी ने कहा है कि ऐसी मूल्य निर्धारण गतिविधियां का अमूमन श्रेणी की खपत पर कम से कम असर पड़ता है मगर इसके कारण थोक और परिवारों में इन्वेंट्री कम हो जाती है।
कंपनी को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों के बाद मूल्य स्थिरीकरण के बाद मात्रात्मक वृद्धि के मामले में स्थिति सामान्य हो सकती है। उत्तर भारत में सर्दियों में देरी और दक्षिण भारत में चक्रवातों के कारण घरेलू श्रेणी में बिक्री धीमी हुई है, जिसका कंपनी के कारोबार में एक तिहाई योगदान है।