विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) के निवेश में पूरे साल उतार-चढ़ाव होता रहा। साल 2024 के 12 में से पांच महीनों में उन्होंने बिकवाली की है। नवंबर के अंत तक इस साल अब तक एफपीआई निवेशकों ने जमकर बिकवाली की है। मगर हालिया विदेशी निवेश में सुधार से यह साल लगातार दूसरा ऐसा हो सकता है जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने खूब लिवाली की हो।
फिलहाल, इस साल अब तक एफपीआई निवेश 25,444 करोड़ रुपये है। प्राथमिक बाजारों में विदेशी निवेश मुख्य रूप से आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO), पात्र संस्थागत प्लेसमेंट (QIB) और राइट्स इश्यू के जरिये रिकॉर्ड 1.1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
प्राथमिक बाजारों में एफपीआई निवेश का पिछला रिकॉर्ड साल 2021 में 78,164 करोड़ रुपये के साथ बना था। इस बीच, ऐसा लगता है द्वितीयक बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक संगठित तरीके से भारत में अपना निवेश कम कर रहे हैं और उन्होंने साल 2018 से भारतीय बाजार से अब तक 54,100 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं।
सौभाग्य से देसी संस्थानों ने अपने निवेश से इनकी बिकवाली को झेल लिया है, जिससे शेयर बाजार में तेजी आई है। नतीजतन वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-जून तिमाही के अंत तक नैशनल स्टॉक एक्सचेंज की सूचीबद्ध कंपनियों में एफपीआई की हिस्सेदारी गिरकर 12 साल के निचले स्तर 17.38 फीसदी पर आ गई।