शुरुआती कारोबार में 494 अंक गिरने के बाद सेंसेक्स अंत में 445 अंक यानी 0.6 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ बंद होने में कामयाब रहा। उधर, निफ्टी-50 इंडेक्स 145 अंकों की उछाल के साथ 24,276 पर बंद हुआ। बाजार में बढ़त व्यापक आधारित थी और सभी सेक्टर सूचकांक हरे निशान के साथ बंद हुए।
पिछले हफ्ते जारी सितंबर तिमाही के जीडीपी आंकड़े कमजोर रहे हैं और इशकी रफ्तार सात तिमाहियों में सबसे धीमी रही है। जुलाई-सितंबर में जीडीपी में 5.4 फीसदी का इजाफा हुआ। इससे पिछली तिमाही में जीडीपी में 6.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, दूसरी तिमाही में वृद्धि की नरम रफ्तार रहने के बावजूद बाजार ने सकारात्मकता बनाए रखी क्योंकि कोर सेक्टर का उत्पादन अक्टूबर में रिकवरी का संकेत दे गया। आय वृद्धि में नरमी को बाजार पहले ही पचा चुका है और मिड व स्मॉलकैप सुधर रहे हैं। हालांकि निवेशक इस हफ्ते आने वाली आरबीआई नीति को देखते हुए थोड़े सतर्क नजर आए क्योंकि जीडीपी के अनुमान में कटौती का जोखिम है। मौजूदा महंगाई अल्पावधि में दरों में कटौती के अनुकूल नहीं हैं और आरबीआई वित्त वर्ष 25 में वृद्धि के अपने अनुमान को लेकर ज्यादा वास्तविक नजर आ सकता है।
सोमवार की बढ़त के बाद भी सेंसेक्स अभी अपने 27 सितंबर की रिकॉर्ड ऊंचाई से 6.7 फीसदी पीछे है। इस बीच, निफ्टी भी अपने सर्वोच्च स्तर से 7.6 फीसदी नीचे है जबकि निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 क्रमश: 6.4 फीसदी व 4.1 फीसदी पीछे है।
एफपीआई ने 238 करोड़ रुपये के शेयर बेचे जबकि देसी संस्थानों ने 3,589 करोड़ के शेयर खरीदे। स्टॉक एक्सचेंजों के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
रुपये के नए निचले स्तर को छूने के बाद भी एफपीआई की बिकवाली सुस्त रही। डॉलर इंडेकग्स 0.5 फीसदी की बढ़त के साथ 106.2 पर रहा। तेल की कीमतें बढ़ी क्योंकि चीन की अर्थव्यवस्था ने धीमी रिकवरी का संकेत दिया।
चीन की विनिर्माण गतिविधियां अक्टूबर में लगातार दूसरे महीने बढ़ी और जून के बाद के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई। ब्रेंट क्रूड 1.2 फीसदी चढ़ा और 73.12 डॉलर पर कारोबार कर रहा था।
1.3 फीसदी चढ़ने वाले रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सेंसेक्स की बढ़त में सबसे ज्यादा योगदान किया।