अमेरिकी राष्ट्रपति-इलेक्ट डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को ब्रिक्स देशों को एक चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने डॉलर की बजाय किसी और करेंसी में आपसी लेन-देन शुरू किया तो उन्हें इसका खामियाजा 100 फीसदी टैरिफ के रूप में भुगतना पड़ सकता है। ट्रंप ने भारत, रुस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका समेत 9 देशों के संगठन ब्रिक्स (BRICS) से कहा कि वे कोई नई ब्रिक्स करेंसी बनाने या डॉलर की बजाय किसी और करेंसी में लेन-देन न करें। ऐसा करने पर ट्रंप ने धमकी दी है कि इन देशों की चीजों को अमेरिका में भेजने पर 100 फीसदी का टैरिफ लगा दिया जाएगा या उनकी चीजों की अमेरिका में बिक्री पर रोक भी लग सकती है।
डॉलर पर भारत की क्या है स्थिति?
भारत ब्रिक्स का अहम सदस्य है और इसकी अमेरिका के साथ मजबूत कारोबारी संबंध हैं तो ऐसे में ट्रंप ने एक तरह से भारत को भी एलर्ट सिग्नल भेजा है। भारत ने हाल ही में डॉलर से बाहर निकलने (de-dollarisation) के खिलाफ अपनी स्थिति को स्पष्ट किया। हालांकि विदेशी मामलों के मंत्री एस जयशंकर ने वॉशिंगटन में कार्नेगी एंडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में इस पर भारत की स्थिति को स्पष्ट किया कि डॉलर को निशाना बनाने की कोई स्ट्रैटेजी नहीं है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि डॉलर की तुलना में किसी और करेंसी में लेन-देन व्यावहारिक कारणों से है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत का अधिकतर कारोबार उनके साथ है जिनके पास डॉलर का भंडार नहीं तो ऐसे में किसी और करेंसी का विकल्प अपनाना पड़ता है। इसके अलावा कुछ देशों पर अमेरिकी प्रतिबंध हैं तो वहां भी विकल्प देखना पड़ता है। उन्होंने कहा कि डॉलर के खिलाफ कोई स्ट्रैटेजी नहीं है और यह सिर्फ कारोबार को बेहतर करने की बात है।
‘प्रस्तावित टैरिफ जमीनी सच्चाई से दूर’
ट्रंप की धमकी पर कई आलोचनाएं आई हैं। एक आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) इस प्रस्तावित टैरिफ को जमीनी सच्चाई से दूर बताया। इसका कहना है कि 100 फीसदी टैरिफ लगाने से न सिर्फ वैश्विक कारोबार में रुकावट आएगी बल्कि अमेरिकी ग्राहकों को भी महंगे आयात का झटका लगेगा। इससे BRICS देशों समेत बाकी अहम कारोबारी साझेदार बदले की स्ट्रैटेजी ला सकते हैं। थिंक टैंक ने भारत को सलाह दी कि वह डॉलर पर निर्भरता को कम करने के लिए एक मजबूत स्थानीय मुद्रा व्यापार प्रणाली विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करे।