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एक हफ्ते में LIC का मार्केट कैप ₹60,656 करोड़ बढ़ा: इंफोसिस की वैल्यू18,477 करोड़ रुपए घटी, पिछले हफ्ते 685 अंक चढ़ा सेंसेक्स

 

पिछले हफ्ते टॉप 10 सबसे वैल्यूएबल कंपनियों में से नौ का कम्बाइंड मार्केट वैल्यूएशन 2,29,589.86 करोड़ रुपए बढ़ गया। इस दौरान भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) टॉप गेनर रही।

 

LIC का वैल्यूएशन 60,656.72 करोड़ रुपए से बढ़कर 6,23,202.02 करोड़ रुपए हो गया। वहीं HDFC बैंक का वैल्यूएशन 39,513.97 करोड़ रुपए बड़ा, जिससे उसका मार्केट कैप 13,73,932.11 करोड़ रुपए हो गया। हालांकि, इंफोसिस का एमकैप 18,477.5 करोड़ रुपए घट गया।

पिछले हफ्ते 685 अंक चढ़ा सेंसेक्स

बीते कारोबारी हफ्ते (25 से 29 नवंबर) के बीच सेंसेक्स 685 अंक चढ़ा। हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन 29 नवंबर को सेंसेक्स 759 अंक (0.96%) की तेजी के साथ 79,802 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में 216 अंक (0.91%) की तेजी रही, ये 24,131 के स्तर पर बंद हुआ।

सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 26 में तेजी और 4 में गिरावट रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 43 में तेजी और 7 में गिरावट रही। NSE रियल्टी और PSU को छोड़कर सभी तेजी के साथ बंद हुए।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।

मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है?

किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।

कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?

मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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