टाटा मोटर्स, मारुति और महिंद्रा जैसी पैसेंजर कार बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में हाल में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले दिनों में यह अस्थिरता और बढ़ सकती है क्योंकि अभी EV मार्केट में असली कॉम्पिटीशन देखा जाना बाकी है। फिलहाल इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) मार्केट में टाटा मोटर्स नंबर 1 पर है। इसके पास करीब 58% का मार्केट शेयर है और नेक्सॉन (Nexon), पंच (Punch), टियागो (Tiago), टिगोर (Tigor) और हाल ही में लॉन्च हुई Curvv EV जैसे 5 शानदार मॉडल्स का पोर्टफोलियो है।
हालांकि अब इसका दबदबा खतरे में दिखाई दे रहा है। इसे आप इससे समझ सकते हैं कि पिछले साल तक EV मार्केट में टाटा मोटर्स की हिस्सेदारी 74% थी, जो अब घटकर 58% पर आ गई है। इसे चुनौती दे रही हैं महिंद्रा और मारुति सुजुकी।
फिसडम रिसर्च के नीरव करकेरा ने बताया कि भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की शुरुआत काफी धीमी रही है। लोगों का ध्यान धीरे-धीरे इनकी ओर बढ़ रहा है और यहां कंपनियों का फोकस अभी सिर्फ वाहनों को असेंबल करने पर है। यह अभी एकदम शुरुआती दौर है और टाटा मोटर्स को पहले आने का फायदा मिला था। लेकिन अब महिंद्रा एंड महिंद्रा और मारुति पूरी तरह से तैयारी के साथ ही इस सेगमेंट में अपनी दावेदारी ठोंकने के लिए तैयार हैं।
महिंद्रा की बात करें तो इसने हाल ही में दो नए EV मॉडल्स लॉन्च किए हैं और EV इकोसिस्टम में बड़े पैमाने पर इन्वेस्टमेंट किया है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि महिंद्रा का यह कदम इसे EV की रेस में मजबूत दावेदार बनाता है।
दूसरी तरफ, मारुति सुजुकी भी पीछे नहीं है। कंपनी ने हाल ही में अपने e-Vitara मॉडल से पर्दा हटाया है, जो एक इलेक्ट्रिक SUV है। 2025 में लॉन्च होने वाली इस e-SUV के जरिए मारुति न सिर्फ भारत, बल्कि ग्लोबल मार्केट में भी धूम मचाने के लिए तैयार है।
हालांकि EV मार्केट में चुनौतियां भी कम नहीं हैं। सबसे बड़ी कमी है, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की। अभी देश में EV चार्जिंग स्टेशन की संख्या काफी कम है और यह इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री तेज नहीं होने के पीछे एक बड़ी रुकावट है।
इसके अलावा कई लोगों इलेक्ट्रिक गाड़ियों की महंगी कीमतों के चलते इसे खरीदने में बहुत अधिक लाभ नहीं दिख रहा है। अभी फेस्टिव सीजन में टाटा मोटर्स ने अपने EV मॉडल्स पर भारी डिस्काउंट दिए थे, लेकिन फिर भी उसकी बिक्री में कोई खास उछाल नहीं आया। हालांकि सरकार की FAME II योजना ने कुछ हद तक मदद की है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
दिलचस्प बात यह है कि EV के चलन में यह देरी मारुति सुजुकी जैसी कंपनियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है, जो काफी देरी से इस सेगमेंट में आ रही हैं। मारुति जिन EV मॉडल्स को उतारने की तैयारी में है, वे सभी सेफ्टी के मामले में 5-स्टार NCAP रेटिंग वाली है। यह सीधे तौर पर टाटा मोटर्स के मॉडल्स को टक्कर देंगी, जिनकी बिक्री में सेफ्टी फीचर का अहम रोल है।
अब बात करते हैं इन कंपनियों के स्टॉक परफॉर्मेंस की। पिछले 5 सालों में टाटा मोटर्स का स्टॉक करीब 400% तक बढ़ा है। वहीं महिंद्रा ने भी Thar और XUV500 जैसे सफल मॉडल्स के दम पर इस दौरान लगभग इसी तरह का रिटर्न दिया है। हालांकि मारुति का शेयर इन दोनों से पीछे रह गया है। पिछले 5 सालों में यह महज 50 पर्सेंट बढ़ा है, जो सेंसेक्स के रिटर्न से भी कम है।
हालांकि ये स्थिति बदल भी सकती है। टाटा मोटर्स का शेयर जुलाई से करेक्शन के मोड में है। इस दौरान इसका EV मार्केट शेयर घटा है। दूसरी ओर मारुति का शेयर सितंबर से मजबूत हो रहा है। मार्केट एक्सपर्ट्स ने बताया कि हुंडई ने अभी तक इलेक्ट्रिक कारों की लॉन्चिंग को लेकर बड़ा ऐलान नहीं किया है। ऐसे में महिंद्रा और मारुति भविष्य में टाटा मोटर्स पर बढ़त लेती हुई दिखाई दे सकती हैं।