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फिर शुरू हुई एफपीआई की बिकवाली, बाजारों में दो माह की सबसे बड़ी गिरावट – fpi selling started again biggest fall in two months in the markets – बिज़नेस स्टैंडर्ड

बेंचमार्क सूचकांकों ने गुरुवार को करीब दो माह की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की क्योंकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने बिकवाली बहाल कर दी। इस बिकवाली की वजह महंगाई के हालिया आंकड़े जारी होने के बाद अमेरिकी ब्याज दर परिदृश्य को लेकर अनि​श्चितता है।

सेंसेक्स 1,190 अंक यानी 1.5 फीसदी टूटकर 79,044 रुपये पर बंद हुआ जबकि निफ्टी-50 इंडेक्स भी 1.5 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ। दोनों सूचकांकों के लिए यह गिरावट 3 अक्टूबर के बाद की सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट रही और इसने 1.5 लाख करोड़ रुपये का बाजार पूंजीकरण स्वाहा कर दिया।

बाजार के उतारचढ़ाव की माप करने वाला द इंडिया वीआईएक्स 3.9 फीसदी चढ़कर 15.2 पर पहुंच गया। स्टॉक एक्सचेंजों के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने 11,756 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। यह उनकी तीसरी सबसे बड़ी एकदिवसीय और 3 अक्टूबर के बाद की सबसे बड़ी बिकवाली है।

देसी संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 8,718 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जिससे कुछ मदद मिली। विशेषज्ञों ने कहा कि बाजार का परिदृश्य कमजोर है और बाजार में हालिया बढ़त महाराष्ट्र चुनाव के फैसले और एमएससीआई पुनर्संतुलन जैसी घटनाओं के कारण हुई, जिससे घरेलू इक्विटी में लगभग 10,000 करोड़ रुपये का निवेश लाने में मदद मिली।

अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट ने कहा, एफपीआई ने पुनर्संतुलित एमएससीआई सूचकांक में नए भार के आधार पर कुछ समायोजन किए हैं, जिसके कारण शायद हाल ही में खरीदारी हुई है। हालांकि, लगातार बिकवाली के कारण अभी भी बने हुए हैं। चयनित अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नीतियों के कारण अमेरिका में डॉलर में बढ़ोतरी और ब्याज दरों का अव्यवस्थित दृष्टिकोण है। यह एफपीआई को बाजार से पैसा निकालने के लिए प्रेरित कर रहा है।

अमेरिकी व्यक्तिगत उपभोग व्यय मूल्य सूचकांक पिछले साल अक्टूबर से 2.8 फीसदी और एक महीने पहले से 0.3 फीसदी बढ़ गया, जिससे चिंता बढ़ी कि अमेरिकी मौद्रिक नीति निर्माता धीरे-धीरे ब्याज दरों में कटौती के साथ आगे बढ़ेंगे। निवेशक ट्रम्प के नीतिगत उपायों के प्रभाव और मूल्य दबाव पर इसके प्रभाव का भी आकलन कर रहे हैं। आंकड़े कई फेड अधिकारियों की हालिया टिप्पणियों को विश्वसनीय बनाते हैं कि जब तक श्रम बाजार सही रहता है और अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती रहती है तब तक ब्याज दरों में कटौती करने की कोई जल्दी नहीं होती।

आईटी इंडेक्स में सबसे ज्यादा 2.4 फीसदी की गिरावट आई, इसके बाद ऑटो इंडेक्स 1.6 फीसदी फिसला। अनिश्चित अमेरिकी दृष्टिकोण आईटी खर्च को प्रभावित करता है, जबकि भारी उत्सर्जन दंड की रिपोर्ट ने ऑटो शेयरों को प्रभावित किया है। सेंसेक्स को हुए नुकसान में सबसे ज्यादा योगदान इन्फोसिस, रिलायंस और एचडीएफसी बैंक का रहा। इन्फोसिस में 3.5 फीसदी की गिरावट आई और यह सेंसेक्स का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला स्टॉक और सूचकांक पर सबसे बड़ा दबाव डालने वाला शेयर रहा। रिलायंस इंडस्ट्रीज में 1.7 फीसदी और एचडीएफसी बैंक में 1 फीसदी की गिरावट आई।

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