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अडाणी मामले पर US से कोई रिक्वेस्ट नहीं मिली: फॉरेन मिनिस्ट्री ने दी जानकारी, अमेरिका ने अडाणी पर रिश्वत देने और धोखाधड़ी का आरोप लगाया था

 

मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स (MEA) ने कहा कि अडाणी ग्रुप और US डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस से जुड़े कानूनी मामले पर भारत को अमेरिका से कोई रिक्वेस्ट नहीं मिली है। फॉरेन मिनिस्ट्री ने शुक्रवार (29 नवंबर) को अपनी वीकली ब्रीफिंग में इस बात की जानकारी दी है।

 

फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हम इसे प्राइवेट कंपनियों, व्यक्तियों और US डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस से जुड़ा कानूनी मामला मानते हैं। जाहिर है, ऐसे मामलों में स्थापित प्रक्रियाएं और कानूनी रास्ते हैं, जिनका हमें विश्वास है कि पालन किया जाएगा। भारत सरकार को इस मुद्दे पर पहले से सूचित नहीं किया गया था।’

अडाणी पर लगे आरोपों को नॉर्वे-राजनयिक ने अमेरिकी अतिक्रमण बताया

एक दिन पहले नॉर्वे के राजनयिक और UN एनवायरमेंट प्रोग्राम के फॉर्मल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एरिक सोलहेम ने अमेरिकी सरकार की हाल ही में आई उस रिपोर्ट की आलोचना की थी, जिसमें गौतम अडाणी समेत 8 लोगों पर अरबों रुपए की रिश्वत देने और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।

उन्होंने इसे ‘अमेरिकी अतिक्रमण’ कहते हुए रिपोर्ट की ग्लोबल मीडिया कवरेज पर बात करते हुए पूछा – अमेरिकी अतिक्रमण कब रुकेगा? सोलहेम ने कहा कि आरोपों में वास्तविक रिश्वत पेमेंट या अडाणी ग्रुप के लीडर्स की संलिप्तता के सबूत नहीं हैं।

न ही इस बात का कोई सबूत है कि अडाणी के अधिकारियों ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी थी। आरोप केवल इस दावे पर आधारित है कि रिश्वत का वादा किया गया था या इस पर चर्चा की गई थी। इस अमेरिकी अतिक्रमण के लोगों के जीवन पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

यह कोर्ट में समय और रिसोर्स खर्च करने के लिए मजबूर करता है

एरिक सोलहेम ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा था कि यह अडाणी ग्रुप को सोलर और विंड प्लांट बनाने के बजाय कोर्ट में समय और रिसोर्स खर्च करने के लिए मजबूर करता है। अमेरिकी अधिकारियों की ओर से की जाने वाली कार्रवाइयां भारत के ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन में बाधा डालती हैं और देश की सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों में से एक को बाधित करती हैं। अब अमेरिकी अतिक्रमण को रोकने का समय आ गया है।

24 अक्टूबर 2024 को न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में दर्ज हुआ था ये मामला

दरअसल, 21 नवंबर को यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी ऑफिस की ओर से कहा गया था कि अडाणी ने भारत में सोलर एनर्जी से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर (करीब 2200 करोड़ रुपए) की रिश्वत दी या देने की योजना बना रहे थे।

यह पूरा मामला अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा हुआ है। 24 अक्टूबर 2024 को न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में यह केस दर्ज हुआ था। बुधवार यानी 20 नवंबर को इसकी सुनवाई में गौतम अडाणी, उनके भतीजे सागर अडाणी, विनीत एस जैन, रंजीत गुप्ता, साइरिल कैबेनिस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल को आरोपी बनाया गया है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गौतम अडाणी और सागर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया है। सागर अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारी हैं।

तस्वीर में गौतम अडाणी (दाएं से पहले कुर्सी पर बैठे हुए) और सागर अडाणी (बाएं से पहले पीछे खड़े हुए)।

तस्वीर में गौतम अडाणी (दाएं से पहले कुर्सी पर बैठे हुए) और सागर अडाणी (बाएं से पहले पीछे खड़े हुए)।

समझें, क्या है हेरफेर और रिश्वत का पूरा मामला…

अमेरिकी न्याय विभाग की फाइलिंग के मुताबिक, सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी SECI ने देश में 12 गीगावॉट की एनर्जी की आपूर्ति के लिए कॉन्ट्रैक्ट निकाला था। SECI भारत सरकार की रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी है, जिसका उद्देश्य देश में सोलर एनर्जी के इस्तेमाल को बढ़ाना है।

दिसंबर 2019 और जुलाई 2020 के बीच अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड यानी AGEL और एक विदेशी फर्म ने कॉन्ट्रैक्ट जीत लिया। उन्हें लेटर ऑफ अवॉर्ड (LOA) जारी कर दिया गया।

यहां एक दिक्कत आ गई। AGEL और विदेशी फर्म से खरीदी बिजली के लिए SECI को ग्राहक नहीं मिल रहे थे। ऐसे में वो AGEL और विदेशी फर्म से बिजली नहीं खरीद पाता। इससे अडाणी की कंपनी और विदेशी फर्म को घाटा होता।

आरोप पत्र के मुताबिक गौतम अडाणी ने अपने भतीजे सागर अडाणी, विनीत जैन समेत 7 लोगों के साथ मिलकर अधिकारियों को रिश्वत देने की साजिश रची। जिससे राज्य सरकारें SECI के साथ पावर सेल एग्रीमेंट कर ले और उनके सोलर पावर एग्रीमेंट को खरीदार मिल जाए।

आरोप पत्र के मुताबिक, ‘गौतम अडाणी ने आंध्र प्रदेश के किसी बड़े अधिकारी से 7 अगस्त 2021 से 20 नवंबर 2021 के बीच कई बार मुलाकात की। ताकि आंध्र प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी (APEPDCL) और SECI के बीच सोलर पावर एग्रीमेंट का करार हो जाए।’

इसके बाद APEPDCL और SECI के बीच एग्रीमेंट हो गया। AGEL और विदेशी फर्म को कॉन्ट्रैक्ट मिल गया। इसके बाद छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर की स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रिब्यूशन बोर्ड ने बिजली खरीद के कॉन्ट्रैक्ट साइन किए।

इस पूरे मामले में दो ऑफिशियल डॉक्यूमेंट जारी हुए हैं…

1. अमेरिकी प्रॉसिक्यूटर्स की ओर से न्यूयॉर्क के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के क्लर्क ऑफिस में दाखिल किया गया इंडाइक्टमेंट यानी अभियोग पत्र। इसमें असेस्ट वारंट का कोई जिक्र नहीं है।

2. न्यूयॉर्क के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट के यूएस अटॉर्नी ऑफिस से जारी की गई प्रेस रिलीज। इसमें भी गौतम अडाणी के खिलाफ अरेस्ट वारंट का जिक्र नहीं है।

वहीं, अमेरिकी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने 21 नवंबर की एक रिपोर्ट में लिखा, ‘कोर्ट के रिकॉर्ड के मुताबिक, एक जज ने गौतम अडाणी और सागर अडाणी के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। प्रॉसिक्यूटर्स इन वारंट को फॉरेन लॉ एनफोर्समेंट को सौंपने की तैयारी की है।

सभी आरोपों को आधारहीन बता चुका है अडाणी ग्रुप अडाणी ग्रुप सभी आरोपों को आधारहीन बता चुका है। 21 नवंबर को बयान जारी करते हुए ग्रुप ने कहा था- ‘अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के डायरेक्टर्स के खिलाफ यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस और यूनाइटेड स्टेट्स सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन की ओर से लगाए गए आरोप निराधार हैं। हम उनका खंडन करते हैं।

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अमेरिकी न्याय विभाग ने खुद ही कहा कि अभी ये सिर्फ आरोप हैं। आरोपियों को तब तक निर्दोष माना जाता है, जब तक कि वे दोषी साबित न हो जाएं।

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एनर्जी बिजनेस को मैनेज करते हैं सागर अडाणी गौतम अडाणी के भतीजे, सागर ने ब्राउन यूनिवर्सिटी US से इकोनॉमिक्स की डिग्री ली है। सागर 2015 में अडाणी ग्रुप में शामिल हुए। सागर, ग्रुप के एनर्जी बिजनेस और फाइनेंस को मैनेज करते हैं। वह रिन्यूएबल एनर्जी बिजनेस में फोकस करते हैं और 2030 तक कंपनी को दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्रोड्यूसर बनाने की योजना बना रहे हैं।

अडाणी ग्रीन एनर्जी के पास 20 गीगावाट से ज्यादा का क्लीन एनर्जी पोर्टफोलियो

अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के पास 20 गीगावाट से ज्यादा का क्लीन एनर्जी पोर्टफोलियो है, जिसमें देश के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में दुनिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों में से एक शामिल है। अडाणी ग्रुप ने 2030 तक इस सेक्टर में देश की सबसे बड़ी कंपनी बनने का लक्ष्य रखा है। कंपनी का मार्केट कैप 1.85 लाख करोड़ रुपए है।

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