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अमेरिका की वजह से शेयर मार्केट धड़ाम, सेंसेक्स 1000 अंक से ज्यादा गिरा, 1.50 लाख करोड़ रुपये डूबे

नई दिल्ली: शेयर मार्केट गुरुवार को धड़ाम हो गई। सेंसेक्स में जहां 1000 अंकों को ज्यादा की गिरावट आई तो वहीं निफ्टी भी 250 अंकों से ज्यादा गिर गया। इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण अमेरिका को माना जा रहा है। अमेरिका के कुछ ‘कदमों’ का सीधा असर शेयर मार्केट पर दिखाई दिया है। इसमें नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए जाने वाला टैरिफ भी शामिल है।राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको समेत चीन पर भारी टैरिफ लगाने की बात कही है। वहीं दूसरी ओर अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम है। इस कारण भी शेयर मार्केट में गिरावट आई है। बीएसई में सूचीबद्ध सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 1.52 लाख करोड़ रुपये घटकर 442.96 लाख करोड़ रुपये रह गया। इस बीच, डर का पैमाना (इंडिया वीआईएक्स) 4% बढ़कर 15.22 पर पहुंच गया।

कितना गिर गया मार्केट?

दोपहर दो बजे सेंसेक्स 775.95 अंक गिरकर 79,458.13 पर कारोबार कर रहा था। इसमें आज एक फीसदी से ज्यादा गिरावट आ चुकी है। वहीं निफ्टी 246.95 अंक गिरकर 24,027.95 अंक पर कारोबार कर रहा था। इसमें भी एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। दिन में कारोबार के समय (दोपहर दो बजे से पहले) सेंसेक्स 1000 अंक से ज्यादा गिर गया था। वहीं निफ्टी में भी 300 अंक से ज्यादा की गिरावट आ गई थी।

आईटी शेयरों में जबरदस्त गिरावट

आईटी शेयरों में 4% तक की गिरावट आई है। एलटीटीएस, इंफोसिस, टेक महिंद्रा और एचसीएल टेक के कारण निफ्टी आईटी इंडेक्स में 2.3% की गिरावट आई। इंफोसिस के शेयरों में 3 फीसदी की गिरावट आई। वहीं टीसीएस के शेयर 2.2 फीसदी तक गिर गए। टेक महिंद्रा और एचसीएल के शेयरों में भी 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई।

मार्केट पर अमेरिका का कितना असर?

टैरिफ में वृद्धि: ट्रंप ने चीन से आने वाले सामान पर भारी टैरिफ लगाने की बात कही है। वहीं दूसरे देशों से आने वाले सामान पर भी ज्यादा टैक्स रहेगा। बात अगर चीन की करें तो अमेरिका के बाजार चीन के सामानों से भरे हुए हैं। जानकारों के मुताबिक अगर ट्रंप चीन पर टैरिफ बढ़ा देते हैं तो अमेरिका में महंगाई आसमान छूने लगेगी।
ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम: अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेड रिजर्व की बैठक में ब्याज दरों में कटौती पर फैसला होगा। अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़ों के मुताबिक ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम है। क्योंकि अमेरिकी उपभोक्ता खर्च अक्टूबर में बढ़ गया है।

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