विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने नवंबर महीने में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से 26,533 करोड़ रुपये निकाले हैं। कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों और घरेलू शेयरों की हाई वैल्यूएशन की वजह से FPI चीन के बाजार में निवेश कर रहे हैं। इसके चलते वे भारतीय बाजार में लगातार सेलर बने हुए हैं। भले ही FPI की बिकवाली जारी है, लेकिन अक्टूबर की तुलना में उनकी शुद्ध निकासी में काफी कमी आई है। हालांकि इस सेलिंग की वजह से भारतीय शेयर बाजारों को नुकसान झेलना पड़ रहा है।
FPI ने अक्टूबर में भारतीय बाजार से शुद्ध रूप से 94,017 करोड़ रुपये (11.2 अरब डॉलर) निकाले थे।डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, ताजा सेलिंग के बाद 2024 में अब तक विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 19,940 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।
आगे ट्रंप की नीतियां तय करेंगी राह
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि आगे चलकर भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का फ्लो अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर निर्भर करेगा। इसके अलावा महंगाई और नीतिगत दर भी विदेशी निवेशकों के रुख के लिए महत्वपूर्ण होगी। श्रीवास्तव ने कहा कि FPI की दिशा के लिए कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे और भू-राजनीतिक घटनाक्रम भी महत्वपूर्ण रहेंगे।
श्रीवास्तव के मुताबिक, भारतीय शेयरों की हाई वैल्यूएशन को लेकर चिंता बनी हुई है, जिससे FPI अपना रुख अधिक आकर्षक वैल्यूएशन वाले बाजारों की ओर कर रहे हैं। भारत की कीमत पर चीन, विदेशी निवेशकों से अपनी आकर्षक वैल्यूएशन की वजह से निवेश हासिल कर रहा है। साथ ही चीन ने अपनी सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए हाल में कई प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की है। श्रीवास्तव का कहना है कि भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजे भी उम्मीद के अनुकूल नहीं रहे हैं और महंगाई भी ऊंचे स्तर पर बनी हुई है, जिसकी वजह से FPI निकासी कर रहे हैं।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा कि विदेशी निवेशक चालू वित्त वर्ष में कंपनियों की आमदनी को लेकर चिंतित हैं। ‘भारत में बेचो और चीन में खरीदो’ वाला रुख अब खत्म हो गया है। डोनाल्ड ट्रंप का प्रभाव भी अपने अंतिम चरण में है क्योंकि अमेरिका में भी वैल्यूएशन ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है।
बॉन्ड बाजार में कैसा है रुख
आंकड़ों के अनुसार, FPI ने नवंबर महीने में अब तक बॉन्ड से सामान्य सीमा के तहत 1,110 करोड़ रुपये निकाले हैं। वहीं उन्होंने वॉलंटरी रिटेंशन रूट (वीआरआर) से 872 करोड़ रुपये का निवेश किया है। कुल मिलाकर इस साल अब तक FPI ने बॉन्ड बाजार में 1.05 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।