Margin Trading Facility: मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी (MTF) को लेकर मीडिया में हाल ही में आई एक खबर का BSE और NSE ने खंडन किया है। मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि सेबी ने कथित तौर पर जारी एक सर्कुलर के माध्यम से मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी लिस्ट से 1010 शेयरों को बाहर कर दिया है। हालांकि, BSE और NSE ने आज 21 नवंबर को एक ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी किया, जिसमें इन दावों को गलत बताया गया है। एक्सचेंजों ने कहा कि सेबी द्वारा ऐसा कोई सर्कुलर जारी नहीं किया गया था और एलिजिबल सिक्योरिटीज की लिस्ट में कोई बड़े पैमाने पर बदलाव नहीं किया गया है।
NSE और BSE ने सर्कुलर में क्या कहा?
NSE और BSE ने कहा, “आर्टिकल के दावे के विपरीत MTF के लिए एलिजिबल सिक्योरिटीज की संख्या में कोई कमी नहीं हुई है।” एक्सचेंजों के अनुसार MTF ट्रेडिंग मेंबर्स (TM) द्वारा क्लाइंट्स को स्टॉक और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETFs) के आधार पर पेश किया जाता है, जो सिक्योरिटीज की ग्रुप I लिस्ट में लिस्टेड है, जिसे हर महीने अपडेट किया जाता है। यह लिस्ट कॉस्ट इंपैक्ट जैसे ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया द्वारा तय की जाती है, और इसमें वर्तमान में लगभग 2000 सिक्योरिटीज शामिल हैं। एक्सचेंजों ने यह जानकारी भी दी है कि MTF के तहत उधार अक्टूबर 2024 में बढ़कर 80,500 करोड़ रुपये से अधिक के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया।
मार्जिन ट्रेडिंक फैसिलिटी ‘आज खरीदें, बाद में भुगतान करें’ के मॉडल की तरह काम करता है। इसमें निवेशकों को ट्रेडिंग के लिए जरूरी पैसों का कुछ हिस्सा ही चुकाना पड़ता है और बाकी पैसा ब्रोकर लोन की तरह दे देती है। जैसे कि मान लें कि 100 रुपये के भाव वाले 1 हजार शेयरों की ट्रेडिंग करनी है तो 1 लाख रुपये की जरूरत पड़ेगी। अब या तो आप पूरे एक लाख रुपये अपने पास से लगाएं या 30 फीसदी यानी 30 हजार रुपये खुद का लगाएं और बाकी 70 फीसदी यानी 70 हजार रुपये ब्रोकर से लोन के रूप में मिल जाएगा।
मार्जिन ट्रेडिंग का फायदा ट्रेडर्स और ब्रोकर्स दोनों को मिलता है। ट्रेडर्स ज्यादा पैसा लगाने के लिए लोन ले सकते हैं और बड़ा मुनाफा कमाने की कोशिश कर सकते हैं, वहीं ब्रोकर्स दिए गए लोन पर ब्याज कमाते हैं।